NVIDIA और General Atomics ने मिलकर एक हाई-फिडेलिटी, AI-इनेबल्ड डिजिटल ट्विन फ्यूजन रिएक्टर बनाया है, यानी रिएक्टर का वर्चुअल वर्जन जो असली की तरह चलता है और रियल-टाइम डेटा पर काम करता है।
Photo Credit: NVIDIA
Fusion Energy, यानी वो तकनीक जिससे सूरज में एनर्जी या गर्मी लगातार बनी रहती है। इस एनर्जी को हासिल करना इंसानों के लिए हमेशा से सबसे बड़ा सपना रहा है। अगर इस एनर्जी को धरती पर कंट्रोल किया जा सके तो हमें लगभग अनलिमिटेड, साफ-सुथरी और सस्ती बिजली मिल सकती है। लेकिन ऐसा करना बेहद मुश्किल है क्योंकि फ्यूजन में प्लाज्मा नाम की चीज को सैकड़ों मिलियन डिग्री तापमान पर स्थिर रखना पड़ता है। हालांकि, NVIDIA और General Atomic कुछ अन्य अमेरिकी रिसर्च टीम्स के साथ मिलकर इस दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं।
NVIDIA का एक हालिया ब्लॉग Fusion Energy की दिशा में कंपनी के प्रोजेक्ट की खुलकर जानकारी देता है। इसमें बताया गया है कि कैसे NVIDIA और General Atomics ने इस चुनौती को हल करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है। दोनों कंपनियों ने मिलकर एक हाई-फिडेलिटी, AI-इनेबल्ड डिजिटल ट्विन फ्यूजन रिएक्टर बनाया है, यानी रिएक्टर का वर्चुअल वर्जन जो असली की तरह चलता है और रियल-टाइम डेटा पर काम करता है।
यह प्रोजेक्ट NVIDIA के Omniverse प्लेटफॉर्म, CUDA-X लाइब्रेरीज और डेटा सेंटर GPUs पर आधारित है और इसे दुनिया के कुछ सबसे एडवांस सुपरकंप्यूटिंग सेंटर्स की मदद से डेवलप किया गया है, जैसे San Diego Supercomputer Center, Argonne Leadership Computing Facility और NERSC (Lawrence Berkeley National Lab)। इसकी घोषणा NVIDIA GTC Washington DC कॉन्फ्रेंस में की गई, जहां बताया गया कि कैसे इस डिजिटल ट्विन ने हफ्तों लगने वाली सिमुलेशन को कुछ सेकंड्स में बदल दिया है।
General Atomics और NVIDIA की इस टीम ने तीन AI मॉडल्स ट्रेन किए हैं - EFIT, CAKE और ION ORB, जो प्लाज्मा के बिहेवियर को सेकंड्स में प्रिडिक्ट कर सकते हैं। ये मॉडल्स दशकों के रियल-डेटा पर ट्रेन किए गए हैं और इनका मकसद यह समझना है कि रिएक्टर के अंदर गर्म प्लाज्मा किस तरह मूव करेगा या कब अस्थिर हो सकता है।
पहले जो गणना सुपरकंप्यूटर हफ्तों में करते थे, अब वही काम NVIDIA GPUs पर AI कुछ ही सेकंड्स में कर देता है। इससे वैज्ञानिक अब रिएक्टर में किसी खतरे के बिना वर्चुअली एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं और नई तकनीकें जल्दी टेस्ट कर सकते हैं।
यह डिजिटल जुड़वा असली DIII-D फ्यूजन रिएक्टर के साथ सिंक में चलता है, जिससे दुनिया भर के 700 वैज्ञानिक इसमें “what-if” सीनारियो रन कर सकते हैं। इसका मतलब है कि कोई भी नया आइडिया पहले इस वर्चुअल रिएक्टर पर टेस्ट होगा और फिर असली मशीन में ट्राय किया जाएगा। इस सिस्टम में सेंसर डेटा, फिजिक्स सिमुलेशन, इंजीनियरिंग मॉडल्स और AI प्रेडिक्शन सब एक साथ रियल-टाइम में मर्ज होकर चलते हैं, जिससे यह एक लाइव, इंटरएक्टिव फ्यूजन लैब बन जाता है।
कुल मिलाकर, NVIDIA और General Atomics का यह प्रोजेक्ट फ्यूजन एनर्जी रिसर्च की दिशा ही बदल सकता है। पहले जहां एक एक्सपेरिमेंट में हफ्तों लगते थे, अब वही काम कुछ मिनटों या सेकंड्स में हो सकता है। इससे फ्यूजन एनर्जी को कमर्शियल लेवल पर लाने की रफ्तार कई गुना तेज हो सकती है और हो सकता है आने वाले सालों में हम सच में सूरज जैसी एनर्जी को धरती पर “काबू” में ले आएं।
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