देश के लेटेस्ट स्पेस PSU ‘NSIL' का टाटा स्काई के लिए पहला डिमांड-ड्राइवन कम्युनिकेशन सैटेलाइट 22 जून को लॉन्च किया जाएगा। यह लॉन्च एरियनस्पेस (Arianespace) द्वारा किया जाएगा। चार टन के केयू-बैंड जीसैट-24 सैटेलाइट को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के लिए इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने डेवलप किया है। यह देश में हाई-क्वॉलिटी टेलीविजन, टेलिकम्युनिकेशन और ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज देगा। एरियनस्पेस ने एक बयान में बताया है कि साल का एरियन 5 दो जियोस्टेशनरी टेलिकम्युनिकेशन सैटेलाइट्स- MEASAT-3d और GSAT-24 का चक्कर लगाएगा।
बताया गया है कि सैटेलाइट को एरियनस्पेस के दो पुराने कस्टमर्स के लिए लॉन्च किया जाएगा। इनमें से एक मलेशियाई सैटेलाइट ऑपरेटर है, जबकि दूसरा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) है। एरियनस्पेस के मुताबिक, यूरोप के स्पेसपोर्ट के गुयाना स्पेस सेंटर से यह लॉन्च 22 जून को किया जाना तय है।
NSIL ने पिछले साल ऐलान किया था कि GSAT-24 की सैटेलाइट कैपिसिटी को Tata Sky की DTH एप्लिकेशन जरूरतों को पूरा करने के लिए लीज पर दिया जाएगा।
बात करें कुछ और स्वदेशी लॉन्च की, तो Isro ने चंद्रमा पर जाने वाले देश के तीसरे अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की पहली झलक दिखाई है। इस साल अगस्त में इसका लॉन्च अनुमानित है और अभी असेंबलिंग का काम चल रहा है। एक डॉक्युमेंट्री के जरिए इसरो ने अपकमिंग मिशन को दिखाया है। 'स्पेस ऑन व्हील्स' नाम की डॉक्युमेंट्री को इसरो की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, जिसके समारोह के एक हिस्से में इसरो ने अपनी उपलब्धियों को दर्शाया है। हाल में ही इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ यह कह चुके हैं कि ऑर्गनाइजेशन तीसरे चंद्र मिशन के प्रोपल्शन सिस्टम को टेस्ट कर रहा है।
चंद्रयान-3 को साल 2020 के आखिर में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस मिशन में देरी हुई है। यह एक लैंडर-स्पेसिफिक मिशन है, जिसमें कोई ऑर्बिटर नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि चंद्रयान -2 का पहला ऑर्बिटर सही तरीके से काम कर रहा है। चंद्रयान-3 मिशन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चंद्रमा पर उतरने की इसरों की दूसरी कोशिश होगा और इंटरप्लेनेटरी मिशन की राह को बेहतर बनाएगा। इससे पहले हुआ मिशन आशिंक रूप से ही सफल हो सका था।