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FLOAT Project : चांद पर रेलवे सिस्‍टम तैयार करेगी Nasa, क्‍या है प्राेजेक्‍ट फ्लोट? जानें

FLOAT Project : नासा ने चंद्रमा की सतह पर उड़ने वाली रोबोट ट्रेन बनाने की योजना का ऐलान किया है। उसने "फ्लेक्सिबल लेविटेशन ऑन ए ट्रैक (FLOAT)" नाम के प्रोजेक्‍ट के बारे में बताया है।

FLOAT Project : चांद पर रेलवे सिस्‍टम तैयार करेगी Nasa, क्‍या है प्राेजेक्‍ट फ्लोट? जानें

Photo Credit: Nasa

नासा ने कहा कि 2030 के दशक में परमानेंट मून बेस को ऑपरेट करने के लिए चांद पर ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम काफी महत्‍वपूर्ण होगा।

ख़ास बातें
  • नासा ने तैयार किया प्रोजेक्‍ट FLOAT
  • चंद्रमा पर रेलवे ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम बनाने की तैयारी
  • पूरी तरह से ऑटोनॉमस होगा यह सिस्‍टम
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जब से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने चांद पर इंसान को दोबारा उतारने की योजना बनाई है, पूरी दुनिया की नजरें उस पर हैं। नासा का आर्टिमिस मिशन (Artemis) इसे मुमकिन करने का इरादा रखता है। नासा चाहती है कि इस बार उसके वैज्ञानिक चांद पर एक बेस बनाएं और वहां लंबे वक्‍त तक रहें। इसके लिए कई तरह की तैयारियां और प्रोजेक्‍ट्स पर काम चल रहा है। अब नासा ने चंद्रमा की सतह पर उड़ने वाली रोबोट ट्रेन बनाने की योजना का ऐलान किया है। एक ब्लॉग पोस्ट में अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी के "फ्लेक्सिबल लेविटेशन ऑन ए ट्रैक (FLOAT)" नाम के प्रोजेक्‍ट के बारे में बताया गया है। 

इस प्रोजेक्‍ट का मकसद चंद्रमा पर पहुंचने वाले एस्‍ट्रोनॉट्स को रोबोटिक ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम (robotic transport system) मुहैया कराना है। एक बयान में नासा ने कहा कि 2030 के दशक में परमानेंट मून बेस को ऑपरेट करने के लिए चांद पर ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम काफी महत्‍वपूर्ण होगा।  

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के रोबोटिक्स एक्‍सपर्ट एथन स्केलर (Ethan Schaler) ने कहा कि हम चांद पर पहले रेलवे सिस्‍टम का निर्माण करना चाहते हैं, जो चांद पर भरोसेमंद, ऑटोनॉमस और ड्यूरेबल पेलोड ट्रांसपोर्टेशन ऑफर करेगा। उन्होंने कहा कि 2030 के दशक में एक टिकाऊ मून बेस को ऑपरेट करने के लिए लंबे वक्‍त तक चलने वाले रोबोटिक ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम की जरूरत होगी। 

NASA के शुरुआती डिजाइन से पता चलता है कि FLOAT सिस्‍टम सिर्फ मशीनों पर निर्भर होगा। मैग्‍नेटिक रोबोट चांद पर पहुंचेंगे और उनमें गाड़ियों को फ‍िट किया जाएगा। वो गाड़‍ियां लगभग 1.61 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। अनुमान है कि चांद पर चलने वाली गाड़‍ियां मून बेस तक रोजाना 100 टन मटीरियल पहुंचाएंगी। 

प्रोजेक्‍ट का मुख्‍य मकसद उन इलाकों तक ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज को मुहैया करना है, जहां एस्‍ट्रोनॉट एक्टिव होंगे। FLOAT सिस्‍टम पूरी तरह से ऑटोनॉमस होगा। यह चंद्रमा के धूल भरे और कठिन एनवायरनमेंट में काम करेगा। जैसे-जैसे जरूरत होगी, नासा इस सिस्‍टम को दोबारा कॉन्फि‍गर करेगी। खास बात है कि FLOAT सिस्‍टम को नासा की जेट प्रोपल्‍शन लेबोरेटरी (JPL) में तैयार किया जा रहा है। फ‍िलहाल कैलिफोर्निया में सिस्‍टम के अलग-अलग पार्ट्स को टेस्‍ट किया जा रहा है। 
 
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प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

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