23 जुलाई 1972 का दिन अंतरिक्ष के इतिहास में बेहद खास है। 23 जुलाई 1972 को अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक ऐसे सैटेलाइट को लॉन्च किया था, जिसने पहली बार हमें अंतरिक्ष से धरती के नजारे दिखाए। इस सैटेलाइट ने पृथ्वी को देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल दिया। इसकी मदद से वैज्ञानिक देख पाए कि कैसे धरती से जंगल कम होते जा रहे हैं। जंगलों की आग ने कैसे धरती के एक बड़े हिस्से को काला कर दिया, कैसे औद्योगीकरण और खेतों के बढ़ते दायरे ने जंगलों को धरती से कम कर दिया।
NASA के वैज्ञानिकों ने US Geological Survey (USGS) के साथ मिलकर 23 जुलाई को LANDSAT-1 को
लॉन्च करके सौरमंडल के सबसे खूबसूरत ग्रह, हमारी पृथ्वी को कैमरे में कैद कर लिया। इस सैटेलाइट ने जिस बारीकी से पृथ्वी की सतह को दिखाया, इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। तब से लेकर अब तक LANDSAT सीरीज के 9 सैटेलाइट लॉन्च किए जा चुके हैं। पृथ्वी की कक्षा में इस वक्त लैंडसेट-8 और लैंडसेट-9 सैटेलाइट चक्कर लगा रहे हैं और पृथ्वी के मौसम और जलवायु में होने वाले परिवर्तनों के साथ ही दूसरे बदलावों पर भी नजर रखे हुए हैं।
LANDSAT-1 का इतिहास
1967 में नासा ने एक सैटेलाइट पर काम करना शुरू किया था जिसका नाम अर्थ रिसोर्स टेक्नोलॉजी सैटेलाइट (ERTS-1) रखा गया था। इसे 23 जुलाई 1972 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया। नासा ने इसे वैंडनबर्ग एयरफोर्स स्टेशन से
लॉन्च किया था, जो अमेरिका के कैलिफॉर्निया में है। बाद में इस सैटेलाइट का नाम बदल कर LANDSAT-1 कर दिया गया। फिर 6 जनवरी 1978 को इसे रिटायरमेंट दे दिया गया, क्योंकि इसके टेप रिकॉर्ड खराब होना शुरू हो गए थे। हालांकि नासा और USGS ने मिलकर जनवरी 1975 में ही दूसरा LANDSAT सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इसका नाम LANDSAT-2 रखा गया। इस तरह से 1972 से लेकर अब तक LANDSAT सैटेलाइट्स लगातार अंतरिक्ष में धरती का चक्कर लगा रहे हैं।
1972 में लॉन्च किए जाने के बाद LANDSAT-1 ने 1974 तक लगभग 1 लाख फोटो धरती पर भेज दी थीं। इसने धऱती के 75% से ज्यादा हिस्से को अपनी तस्वीरों में कैद कर लिया था। प्रत्येक फोटो 185x185 किलोमीटर के माप की थी। सैटेलाइट अपने काम में इतना अच्छा था कि इसके जरिए धरती पर नई जमीनों का भी पता लग पाया।
सैटेलाइट्स धरती पर हो रहे बदलावों पर नजर रखने के लिए बहुत उपयोगी हैं। इनकी मदद से ही पता लगाया जाता है कि धरती पर जंगल का क्षेत्र कम हो रहा है या ज्यादा। इसके अलावा ध्रुवों पर जमी बर्फ में क्या बदलाव आ रहे हैं, बर्फ कितने एरिया में और कितनी गति से पिघल रही है, ये सब जानकारी सैटेलाइट्स के द्वारा कैप्चर की जाने वाली इमेज से ली जाती हैं। ये सैटेलाइट लगातार धरातल की फोटो जमा करते रहते हैं जिससे साल दर साल पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों को साफ साफ देखा जा सकता है।