पर्मियन भूगर्भिक काल (Permian geologic period) हमारी पृथ्वी के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण है। इस काल के आखिर में प्रजातियों के दो सबसे बड़े सामूहिक विनाश हुए थे। इस विनाश को आप यूं समझ सकते हैं कि 252 मिलियन साल पहले हुई विलुप्ति में सभी जानवरों की प्रजातियों में से 86 फीसदी का धरती से सफाया हो गया। इस घटना ने एक नए युग की शुरुआत को भी चिह्नित किया और पृथ्वी पर सरीसृपों (reptiles) की आबादी तेजी से बढ़ी। अब तक वैज्ञानिकों का मानना था कि सरीसृपों की संख्या में बढ़ोतरी और उनका विकास उनके प्रतिस्पर्धियों के विलुप्त होने के कारण हुआ। लेकिन एक नई स्टडी से संकेत मिलता है कि बड़े पैमाने पर प्रजातियों के विलुप्त होने के बजाए ग्लोबल वार्मिंग यानी जलवायु परिवर्तन, सरीसृप आबादी और डायवर्सिर्टी की बढ़ोतरी की वजह बना।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्गैज्मिक एंड इवोल्यूशनरी बायोलॉजी और म्यूजियम ऑफ कम्पेरेटिव जूलॉजी के रिसर्चर्स ने यह खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि सरीसृपों का विकास बहुत पहले शुरू हो गया था।
पोस्टडॉक्टरल फैलो टियागो आर सिमोस ने
कहा, हमने अपनी रिसर्च में पाया है कि सरीसृपों के तेजी से विकास की ये अवधि बढ़ते तापमान से जुड़ी हुई थी। कुछ ग्रुप्स वास्तव में तेजी से बदले और कुछ कम तेजी से। लेकिन लगभग सभी सरीसृप पहले की तुलना में बहुत तेजी से विकसित हो रहे थे। सिमोस,
साइंस एडवांस में पब्लिश हुई स्टडी के प्रमुख लेखक भी हैं।
रिसर्च टीम ने शुरुआती एमनियोट्स (amniotes) को एग्जामिन किया। ये पक्षियों, सरीसृपों और उनके नजदीकी विलुप्त हो चुके रिश्तेदारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। रिसर्चर्स ने 125 प्रजातियों के 1,000 से अधिक जीवाश्म नमूनों के डेटा कलेक्शन का इस्तेमाल करके एक डेटासेट बनाया। रिसर्चर्स ने डेटा का विश्लेषण किया और इन प्रजातियों की उत्पत्ति और उनके विकास की गति का पता लगाने की कोशिश की।
रिसर्चर्स ने पाया कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की तेज अवधि ज्यादातर सरीसृपों में शारीरिक परिवर्तन से जुड़ी हुई थी। सरीसृप ने खुद को बदलते हुए पर्यावरण के अनुकूल बना लिया था। टीम को पता चला है कि उस दौरान सरीसृपों के शरीर के आकार में बदलाव हुआ। डेटा विश्लेषण ने बताया कि सरीसृपों के शरीर पर जलवायु का दबाव बहुत अधिक था। हालांकि बहुत तेजी से उन्होंने खुद को पर्यावरण के हिसाब से ढाल लिया था।