अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने बताया है कि लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) के स्पेस डिविजन ने रॉकेट बनाने के लिए उसका कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है। यह रॉकेट 2030 के दशक में मंगल ग्रह से पहला रॉक सैंपल लेकर लौटेगा। नासा के मुताबिक, यह ‘छोटा, हल्का रॉकेट' दूसरे ग्रह से उड़ान भरने वाला पहला रॉकेट होगा, जो मंगल की सतह से सैंपल लाएगा। नासा का पर्सवेरेंस रोवर (Perseverance Rover) एक साल पहले मंगल ग्रह पर लैंड करने के बाद विभिन्न इलाकों से सैंपल इकट्ठा कर रहा है।
इस मिशन का मकसद मंगल ग्रह पर जीवन के निशान ढूंढना है। लेकिन यह तभी मुमकिन होगा, जब इन सैंपल्स का विश्लेषण पृथ्वी पर प्रयोगशालाओं में किया जाएगा। इन सैंपल्स को इकट्ठा करके एक जटिल ऑपरेशन के तहत पृथ्वी पर वापस लॉन्च किया जाएगा। लॉकहीड मार्टिन का रॉकेट इसमें प्रमुख भूमिका निभाएगा।
नासा के
अनुसार, रॉकेट बनाने के लिए हुए कॉन्ट्रैक्ट का संभावित मूल्य 194 मिलियन डॉलर (लगभग 1451 करोड़ रुपये) है। नासा के हेडक्वॉर्टर में साइंस के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर थॉमस जुर्बुचेन ने कहा कि पृथ्वी पर लाए जाने के बाद उन सैंपल्स की स्टडी बेहतर टूल्स से की जा सकती है।
नासा की योजना है कि साल 2026 में मंगल पर मिनी-रॉकेट को भेजने के लिए जल्द एक मिशन शुरू किया जाएगा। इस रॉकेट में एक और रोवर होगा, जो पर्सवेरेंस के नमूनों को इकट्ठा करने का काम करेगा।
जब सैंपल्स रॉकेट में रख दिए जाएंगे, तब रॉकेट उड़ान भरेगा और उन्हें मंगल की कक्षा में स्थापित करेगा। उन्हें पृथ्वी पर लाने के लिए एक और जहाज इसमें सहयोग करेगा। इस तरह सैंपल्स को पृथ्वी पर लाया जाएगा। इस जहाज को यूरोपीय स्पेस एजेंसी तैयार करवा रही है।
इसी तरह के एक अहम प्रोजेक्ट के तहत नासा की योजना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को क्रैश कराने की है।
अंतरिक्ष की उड़ान भरने वाले यात्रियों के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन काफी अहमियत रखता है। इसे अंतरिक्ष यात्रियों का घर भी कहा जाता है। यह अपनी ऑपरेशनल लाइफ के आखिरी दशक में प्रवेश कर रहा है। नासा ने जनवरी 2031 में ISS को ‘डीऑर्बिट' करने और प्रशांत महासागर में क्रैश करने की योजना बनाई है। इससे पहले वह इसे कमर्शल एक्टिविटीज के लिए खोलने की योजना बना रही है।