भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने अपनी क्षमता को पूरी दुनिया में साबित किया है। इसरो को जाना जाता है कम लागत में मिशन पूरा करने के लिए। चाहे हमारा मंगलयान हो या फिर चंद्रयान, सभी कम खर्च में सफल मिशन साबित हुए हैं। समय-समय पर इसरो दूसरे देशों के सैटेलाइट्स भी अंतरिक्ष में भेजती है और अब तो प्राइवेट मिशन्स भी लॉन्च कर रही है। इसी क्रम में रविवार को श्रीहरिकोटा से LVM3 रॉकेट पर वनवेब (OneWeb) के 36 सैटेलाइट्स का सेकंड बैच लॉन्च किया जाएगा।
सोमवार को एक ट्वीट में इसरो ने बताया कि एलवीएम3-एम3/वनवेब इंडिया-2 मिशन 26 मार्च को 9 बजे श्रीहरिकोटा के सेकंड लॉन्च पैड से होना है। यह वनवेब का 18वां लॉन्च होगा। कंपनी ने अबतक 582 सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं। हाल ही में 9 मार्च को एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट ने 40 वनवेब सैटेलाइट्स को उनकी कक्षा में पहुंचाया था।
रिपोर्टों के अनुसार, यह लॉन्च सफल रहा तो यूके बेस्ड वनवेब अंतरिक्ष में 600 से ज्यादा सैटेलाइट्स का समूह पूरा कर लेगी। ये सभी लो-अर्थ-ऑर्बिट सैटेलाइट्स हैं, जिनके जरिए वनवेब दुनिया के देशों में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा का विस्तार करना चाहती है। एयरटेल का मालिकाना हक रखने वाली भारती एंटरप्राइज ने भी वनवेब को आर्थिक सहयोग दिया है।
भारत सरकार ने इसरो की वाणिज्यिक शाखा के रूप में NSIL का गठन किया है। NSIL ने वनवेब के साथ 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कॉन्ट्रैक्ट किया था, जिसके तहत 72 सैटेलाइट्स को दो बार में अंतरिक्ष में भेजा जाना था। पिछले साल अक्टूबर में श्रीहरिकोटा से ही
वनवेब के 36 सैटेलाइट्स का एक बैच लॉन्च किया जा चुका है। वनवेब पहले ही इसरो और एनएसआईएल का शुक्रिया कह चुकी है।
कंपनी का मकसद भारती एंटरप्राइज के साथ मिलकर शहरों से गांवों तक उन इलाकों में सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट पहुंचाना है, जहां लोग आज भी कनेक्टिविटी की समस्या से जूझ रहे हैं। वनवेब कई देशों में अपनी सर्विस को लॉन्च कर चुकी है। इनमें अलास्का, कनाडा और यूरोप के इलाके शामिल हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि रविवार का सफल लॉन्च इसरो की क्षमता को पूरी दुनिया के सामने और मजबूती से पेश करेगा और स्पेस लॉन्च की दिशा में इसरो तेजी से आगे बढ़ेगी।