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Elon Musk के 40 सैटेलाइट्स कैसे हुए बर्बाद? 2 साल पुराने राज से भारतीय वैज्ञानिकों ने हटाया पर्दा!

उन सैटेलाइट्स के साथ क्‍या हुआ था। वो कैसे बर्बाद हो गए? इन सवालों का जवाब भारतीय शोधकर्ताओं ने ढूंढ निकाला है।

Elon Musk के 40 सैटेलाइट्स कैसे हुए बर्बाद? 2 साल पुराने राज से भारतीय वैज्ञानिकों ने हटाया पर्दा!

रिसर्चर्स का कहना है कि अंतरिक्ष के मौसम में बदलाव के अलावा अन्‍य वजहों से स्‍टारलिंक सैटेलाइट बर्बाद हुए थे।

ख़ास बातें
  • 2 साल पहले स्‍पेस में बर्बाद हो गए थे कई स्‍टारलिंक सैटेलाइट
  • भारतीय वैज्ञानिकों ने इसकी वजह समझने की कोशिश की
  • सिर्फ सौर तूफान कारण नहीं, अन्‍य वजहें भी हो सकती हैं
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Elon Musk Starlink : दो साल पहले एलन मस्‍क की कंपनी स्‍पेसएक्‍स के साथ एक घटना हुई थी। स्‍पेसएक्‍स (SpaceX) ने फरवरी 2022 में स्‍टारलिंक सैटेलाइटों का एक बैच लॉन्‍च किया था। लॉन्चिंग के कुछ वक्‍त बाद ही करीब 40 सैटेलाइट बर्बाद हो गए थे। कई लोगों ने आसमान में जलती हुई चीजें देखी थीं। पहले कहा गया कि वह कोई उल्‍कापिंड हो सकता है। बाद में पता चला था कि सभी स्‍टारलिंक सैटेलाइट्स थे। आखिर उन सैटेलाइट्स के साथ क्‍या हुआ था। वो कैसे बर्बाद हो गए? इन सवालों का जवाब भारतीय शोधकर्ताओं ने ढूंढ निकाला है। 

रिसर्चर्स का कहना है कि अंतरिक्ष के मौसम में बदलाव के अलावा अन्‍य वजहों से स्‍टारलिंक सैटेलाइट बर्बाद हुए थे। रिसर्चर्स की फाइंडिंग्‍स को जर्नल स्पेस वेदर (journal Space Weather) में पब्लिश किया गया है।  

खबर पर आगे बढ़ें, उससे पहले जानते हैं कि स्‍टारलिंक है क्‍या? स्‍टारलिंक, एलन मस्‍क की स्‍पेस कंपनी स्‍पेसएक्‍स की सब्‍सिडरी कंपनी है। यह दुनियाभर में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस पहुंचाने का इरादा रखती है। स्‍पेसएक्‍स वक्‍त-वक्‍त पर स्‍टारलिंक के सैटेलाइट्स को लो-‍अर्थ ऑर्बिट में पहुंचाती है, ताकि उनके जरिए दुनिया के कोने-कोने में इंटरनेट पहुंचाया जा सके।  

कंपनी ने 3 फरवरी 2022 को भी स्‍टारलिंक सैटेलाइट्स का एक बैच स्‍पेस में लॉन्‍च किया था। तब कहा गया कि उनमें से 40 स्‍टारलिंक सैटेलाइट्स, सौर तूफान की चपेट में आने से बर्बाद हो गए। हालांकि इसके कोई सबूत नहीं  मिले थे। मामले को गहराई से समझने के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता के रिर्सर्चस की टीम ने नासा और प्रिडिक्टिव साइंसेज इंक. के साथ मिलकर काम किया। 

टीम का उद्देश्य LEO में प्रचलित अंतरिक्ष मौसम स्थितियों और स्टारलिंक उपग्रहों के नुकसान के बीच संबंध निर्धारित करना था। रिसर्चर्स का मानना है कि सैटेलाइट्स के बर्बाद होने की एक वजह नहीं हो सकती। कई वजहों से एकसाथ होने के कारण स्‍टारलिंक सैटेलाइट्स बर्बाद हुए। रिसर्चर्स को लगता है कि उस वक्‍त स्‍पेस का मौसम तो गड़बड़ था ही, हाई डेंसिटी वाले लो-अर्थ ऑर्बिट में सैटेलाइट्स को एडजस्‍ट करने में कुछ परेशानी आई। रिसर्चर्स का कहना है कि इस बारे में विस्‍तार से स्‍टडी करने की जरूरत है। 

 
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