अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Telescope) ने अंतरिक्ष को नए नजरिए से दिखाया है। स्पेस में तैनात अबतक की सबसे बड़ी दूरबीन से ली गई तस्वीरें दुनियाभर में छाई हुई हैं। लेकिन क्या अपने मिशन के शुरुआती दौर में ही यह टेलीस्कोप डैमेज हो गया है। इस साल मई में जानकारी सामने आई थी कि टेलीस्कोप के प्राइमरी मिररों को उल्कापिंडों के टकराने से नुकसान हुआ था। जितना सोचा जा रहा था, यह नुकसान उससे ज्यादा मालूम पड़ता है।
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पब्लिश एक पेपर में दी गई जानकारी के अनुसार, छोटे उल्कापिंडों (Micrometeoroid) की स्ट्राइक से टेलीस्कोप के बड़े मिरर में ना के बराबर नुकसान हुआ है, लेकिन मई महीने के मध्य में टेलीस्कोप के बायीं ओर उल्कापिंड के टकराने से वहां स्थायी डैमेज हुआ है। नासा की रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी से जून के बीच इस टेलीस्कोप पर सूक्ष्म उल्कापिंडों के 6 हमलों में 5 बार ना के बराबर नुकसान हुआ। लेकिन एक उल्कापिंड ने टेलीस्कोप को नुकसान पहुंचाया है। यह घटना 22 से 24 मई के बीच हुई।
नुकसान के आकलन में पता चला कि उस टक्कर में C3 लेबल वाले एक मिरर सेग्मेंट को नुकसान पहुंचा है, जिसने इस टेलीस्कोप में एक परमानेंट डैमेज छोड़ दिया है। जेम्स वेब टेलीस्कोप के साथ यह घटना उसके कमीशनिंग फेज में हुई। यह उस चरण को कहा गया है, जब टेलीस्कोप अपने उपकरणों को अंतरिक्ष में सेट कर रहा था और उनकी टेस्टिंग कर रहा था।
छठी टक्कर की वजह से सेग्मेंट के वेवफ्रंट एरर में 56 नैनोमीटर से 178 नैनोमीटर तक बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों ने बताया है कि इस टेलीस्कोप के मिरर अंतरिक्ष के संपर्क में हैं, इसलिए उनका सूक्ष्म उल्कापिंडों के हमले से बचना मुश्किल है। अच्छी बात है कि अभी तक हुई टक्करों की वजह से टेलीस्कोप को ना के बराबर नुकसान हुआ है। इन हमलों से टेलीस्कोप की इन्फ्रारेड इमेज क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ा है। टेलीस्कोप द्वारा खींची गईं और पिछले हफ्ते रिलीज हुईं तस्वीरें इसकी तस्दीक करती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 22-24 मई को C3 सेगमेंट से टकराने वाले सूक्ष्म उल्कापिंड की वजह से उस सेगमेंट के आंकड़ों में बदलाव हुआ था, लेकिन पूरी दूरबीन के हिसाब से यह असर बहुत छोटा था, क्योंकि टेलीस्कोप का सिर्फ एक छोटा हिस्सा प्रभावित हुआ था। छोटे उल्कापिंडों से होने वाली टक्कर जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के 21 फीट व्यास वाले मिरर यानी दर्पण के लिए एक बड़ी समस्या बताई जाती है, क्योंकि मिरर सीधे अंतरिक्ष में एक्सपोज हो रहा है, जबकि हबल टेलीस्कोप के साथ ऐसा नहीं है।
हालांकि यह पृथ्वी से जितना दूर है, वहां वैज्ञानिकों ने महीने में सिर्फ एक बार ऐसे हमलों की संभावना जताई थी। इस टेलीस्कोप को पिछले साल लॉन्च किया गया था। माना जाता है कि यह हबल टेलीस्कोप की जगह लेगा, जो पिछले 30 साल से अंतरिक्ष में अपनी सर्विस कर रहा है।