• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • Chandrayaan 3 : चंद्रयान 3 की आखिरी छलांग! 153 Km तक चांद के करीब पहुंचा, अब क्‍या करेगी ISRO? जानें

Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 की आखिरी छलांग! 153 Km तक चांद के करीब पहुंचा, अब क्‍या करेगी ISRO? जानें

Chandrayaan-3 : इसरो ने कहा है कि उसने चंद्रयान-3 के चंद्रमा तक पहुंचने की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं।

Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 की आखिरी छलांग! 153 Km तक चांद के करीब पहुंचा, अब क्‍या करेगी ISRO? जानें

Photo Credit: ISRO

Chandrayaan-3 : अब प्रोपल्‍शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की तैयारी की जाएगी।

ख़ास बातें
  • चंद्रयान-3 की कक्षा में आखिरी बार हुआ बदलाव
  • अब प्रोपल्‍शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की तैयारी
  • 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की हो सकती है कोशिश
विज्ञापन
भारत के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) ने बुधवार को पांचवीं और अंत‍िम बार अपनी कक्षा में बदलाव किया। भारतीय स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने इसकी पुष्टि की है। बताया है कि चंद्रयान-3 अब चांद की सतह के और करीब आ गया है। इसकी चांद से सबसे कम दूरी 153 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 163 किलोमीटर रह गई है। इसरो ने कहा है कि उसने चंद्रयान-3 के चंद्रमा तक पहुंचने की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं। अब प्रोपल्‍शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की तैयारी की जाएगी। 

एक ट्वीट में इसरो ने लिखा, ‘‘आज की सफल प्रक्रिया संक्षिप्त अवधि के लिए आवश्यक थी। इसके तहत चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया, जिसका हमने अनुमान किया था। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब प्रोपल्‍शन मॉड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं।''
 

इसरो ने बताया कि 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्‍शन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की योजना है।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 14 जुलाई को लॉन्‍च होने के बाद चंद्रयान-3 ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। उसके बाद 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में बदलाव कर उसे चांद के करीब ले जाया गया था। योजना के अनुसार, चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।

इसरो के सूत्रों के हवाले से पीटीआई ने लिखा है कि अलग होने के बाद लैंडर को एक कक्षा में स्थापित करने के लिए ‘‘डीबूस्ट'' (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरने की उम्मीद है। इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने हाल में कहा था कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है। वहां हमें अपनी काबिलियत दिखानी होगी। एस. सोमनाथ ने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो और सभी गणितीय मानक ठीक हों।
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Tecno ने भारत में लॉन्च किया Spark Go 2, डुअल रियर कैमरा यूनिट, जानें प्राइस, फीचर्स
  2. Vivo T4 Lite 5G vs Oppo K13x 5G vs Realme Narzo 80 Lite 5G: जानें कौन सा फोन है बेस्ट
  3. अमेरिका जाना है तो...सोशल मीडिया प्रोफाइल पब्लिक करना है जरूरी!
  4. Vivo ने लॉन्च किया 6000mAh बैटरी, 50MP कैमरा वाला बजट 5G स्मार्टफोन, जानें कीमत और फीचर्स
  5. Geely Galaxy A7 हाइब्रिड सेडान हुई पेश, 2100 किमी की रेंज और जबरदस्त फीचर्स से लैस, जानें सबकुछ
  6. पहले इलेक्ट्रिक विमान ने पूरी की 130KM की उड़ान, खर्च आया 700 रुपये से भी कम
  7. iPhone 17 Pro में अब मिलेगा एंड्रॉयड जैसा कूलिंग सिस्टम, जानें क्या बदल जाएगा
  8. Poco F7 5G आज हो रहा भारत में लॉन्च, कैसे देखें लाइवस्ट्रीम, जानें कीमत और स्पेसिफिकेशंस
  9. Vivo T4 Lite 5G आज होगा भारत में लॉन्च, Rs 10,000 से कम होगी कीमत?
  10. 50MP सेल्फी कैमरा स्मार्टफोन, Moto Edge 60 Pro से लेकर Vivo V23 5G, Vivo V50 तक Vivo T3 Ultra शामिल
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »