• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • स्मार्टफोन, कंप्यूटर स्क्रीन से आंखों को होने वाले नुकसान से नहीं बचा पाते ब्लू लाइट लेंस! नई स्टडी में खुलासा

स्मार्टफोन, कंप्यूटर स्क्रीन से आंखों को होने वाले नुकसान से नहीं बचा पाते ब्लू लाइट लेंस! नई स्टडी में खुलासा

शोधकर्ता कहते हैं कि ब्लू लाइट फिल्टर करने वाले लेंसेज पर इस मामले में बहुत ज्यादा निर्भर नहीं रहा जा सकता है।

स्मार्टफोन, कंप्यूटर स्क्रीन से आंखों को होने वाले नुकसान से नहीं बचा पाते ब्लू लाइट लेंस! नई स्टडी में खुलासा

शोधकर्ता कहते हैं कि ब्लू लाइट फिल्टर करने वाले लेंसेज पर इस मामले में बहुत ज्यादा निर्भर नहीं रहा जा सकता है।

ख़ास बातें
  • ब्लू लाइट ग्लासेज स्क्रीन से होने वाले नुकसान को रोकने नहीं हैं कारगर।
  • डिवाइसेज से आने वाली केवल 10 से 25% ब्लू लाइट को ही रोक सकते हैं।
  • इससे ज्यादा लाइट को रोकने के लिए इनमें अम्बर रंग होना चाहिए।
विज्ञापन
स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट जैसे डिवाइसेज अब हमारी जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे में हम दिन का अधिकतर समय इस तरह की डिवाइसेज के स्क्रीन को देखकर बिताते हैं जिससे आंखों पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन अब चश्मा बनाने वाली कंपनियां ब्लू लाइट ग्लास बनाने लगी हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि ये हमारी आंखों की सेहत के लिए उपयोगी होते हैं। लेकिन क्या ये सच में आखों को बचाते हैं? इस रिपोर्ट के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं। 

ब्लू लाइट ग्लासेज का चलन पिछले कुछ सालों से काफी बढ़ गया है। कहा जाता है कि ये स्क्रीन के बुरे प्रभाव से आंखों को बचाते हैं और इनसे नींद आने में भी मदद मिलती है। लेकिन NDTV के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, और यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के शोधकर्ता कुछ और ही कहते हैं। रिसर्चर कह रहे हैं कि ब्लू लाइट ग्लासेज स्क्रीन से होने वाले नुकसान को रोकने में कोई खास भूमिका अदा नहीं करते हैं। और न ही इनसे नींद की क्वालिटी सुधरती है। 

लेखक लौरा डाउनी ने कहा कि उन्होंने पाया है कि थोड़े से समय के लिए ही ब्लू लाइट फिल्टर वाले लेंस कंप्यूटर से होने वाली आंखों की थकान को रोक सकते हैं। लेकिन लम्बे समय के लिए यह बहुत कारगर साबित नहीं किए जा सके हैं। स्टडी में शोधकर्ताओं ने कहा है कि डिवाइसेज से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों को नहीं थकाती है, बल्कि इसके पीछे अधिकतर लोगों में कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम पाया जाता है जो कि कंप्यूटर के सामने लम्बे समय तक बैठने से संबंधित होता है। 

स्टडी आगे कहती है कि ब्लू लाइट फिल्टर डिवाइसेज से आने वाली केवल 10 से 25% ब्लू लाइट को ही रोक सकते हैं। इससे ज्यादा लाइट को रोकने के लिए इनमें अम्बर रंग होना चाहिए, लेकिन अगर इतना ज्यादा कलर लेंस में दिया जाएगा तो आंखों को सही रंग पहचानने में दिक्कत हो सकती है। कुल मिलाकर शोधकर्ता कहते हैं कि ब्लू लाइट फिल्टर करने वाले लेंसेज पर इस मामले में बहुत ज्यादा निर्भर नहीं रहा जा सकता है। इसमें अभी और एडवांसमेंट की जरूरत है। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े: , blue light lenses, Blue Light and Your Eyes
हेमन्त कुमार

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर सब-एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Vivo ने लॉन्च किया G3 5G, MediaTek Dimensity 6300 चिपसेट, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  2. Infinix Hot 60i 5G भारत में हुआ लॉन्च, 6,000 mAh की बैटरी
  3. 20 हजार वाले Samsung Galaxy A35 5G, Vivo T4 5G और Moto G96 5G जैसे स्मार्टफोन्स पर जबरदस्त डील
  4. Ola Electric ने लॉन्च किया S1 Pro Sport, जानें प्राइस, रेंज
  5. Oppo K13 Turbo Pro की भारत में शुरू हुई बिक्री, जानें प्राइस, ऑफर्स
  6. Google Search में AI मोड भारत में हुआ शुरू, जानें कैसे करें उपयोग
  7. Flipkart Freedom Sale: 7 हजार रुपये सस्ता मिल रहा Google का पिक्सल फोन
  8. Lava Blaze AMOLED 2 5G vs iQOO Z10 Lite 5G vs Moto G45 5G: 15 हजार में कौन है बेस्ट
  9. घर के बाहर कूड़े का ढेर लगा है या गंदे हैं सार्वजिक शौचालय तो इस सरकारी ऐप पर करें रिपोर्ट, जल्द मिलेगा समाधान
  10. प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को टक्कर देगी BSNL, सरकार से मिलेंगे 47,000 करोड़ रुपये
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »