Mission Gaganyaan : भारत के ‘मिशन गगनयान' पर तेजी से काम चल रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) का ‘सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन', आखिरी टेस्ट्स में सफल साबित हुआ है। इसे इसरो के लिए एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। क्रायोजेनिक इंजन का काम गगनयान मिशन के लिए LVM लॉन्च रॉकेट के ‘क्रायोजेनिक चरण' को पावर देना है। इसरो का कहना है कि कठिन टेस्ट से इंजन की क्षमताओं का पता चलता है।
क्या है मिशन गगनयान?
2025 तक इसरो स्पेस में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का लक्ष्य लेकर चल रही है और गगनयान इसी मिशन का नाम है। यह भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा। ISRO का लक्ष्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजना है। मिशन को 2021 के लिए प्लान किया गया था, लेकिन उस वक्त चल रही कोरोना महामारी (COVID-19) के कारण इसमें देरी हुई।
पहले बिना अंतरिक्ष यात्रियों के लॉन्च होगा मिशन
इस मिशन के तहत तीन बार स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। पहली दो फ्लाइट्स मानव रहित होंगी यानी उनमें कोई एस्ट्रोनॉट नहीं जाएगा। तीसरी फ्लाइट में अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जाएगा। इसरो की योजना पृथ्वी के निचले ऑर्बिट में तीन दिनों तक 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर मनुष्य को रखना है। सबकुछ ठीक रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
इसरो का कहना है कि आखिरी टेस्ट फ्लाइट कंडीशंस का जाएजा लेने के लिए ‘इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स' महेंद्रगिरि में 13 फरवरी को किया गया, जो इस सीरीज का सातवां टेस्ट था। इसरो ने कहा है कि गगनयान मिशन के लिए सीई20 इंजन के सभी जमीनी टेस्ट पूरे कर लिए गए हैं।