माइक्रो ब्लॉगिंग साइट Twitter के व्हिसलब्लोअर Peiter Zatko ने आरोप लगाया है कि Twitter ने भारत को कंपनी में एजेंट्स रखवाने की अनुमति दी थी और अपने प्लेटफॉर्म पर यूजर्स के बारे में संवेदनशील डेटा उपलब्ध कराया था। इसके अलावा चीन की इंटेलिजेंस सर्विस से कम एक एजेंट को कंपनी में रखा गया था।
अमेरिकी सीनेट कमेटी के सामने गवाही में Zatko ने दावा किया कि कंपनी अपने यूजर्स की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ कर रही है। उनका कहना था कि कंपनी का मैनेजमेंट अपने इंजीनियर्स की अनदेखी करता है और इंसेंटिव्स मिलने के कारण सिक्योरिटी के बजाय प्रॉफिट कमाने पर जोर दिया जाता है। हालांकि, ट्विटर ने इस आरोप पर कहा है कि उसकी हायरिंग की प्रक्रिया पर कोई विदेशी प्रभाव नहीं होता और डेटा तक पहुंच को कई उपायों के जरिए सुरक्षित किया जाता है। Associated Press की एक
रिपोर्ट के अनुसार, ट्विटर के पूर्व सिक्योरिटी चीफ Zatko ने कहा है कि कंपनी ने जानबूझ कर भारत और चीन की सरकारों के एजेंट्स को रखा था। उन्होंने बताया कि इन एजेंट्स के पास कंपनी के सिस्टम्स और यूजर्स के डेटा का एक्सेस हो सकता है।
उन्होंने बताया कि कंपनी के सिक्योरिटी सिस्टम्स पुराने हो चुके हैं और इसके डेटा सेंटर सर्वर्स में से आधे से अधिक ऐसे सॉफ्टवेयर पर चलते हैं जिसमें सेंध लगने का खतरा है। टेस्ला के चेयरमैन Elon Musk के वकील Alex Spiro ने हाल ही में दावा किया था कि Twitter ने कंपनी में गड़बड़ियों को छिपाने के लिए Zatko को 70 लाख डालर दिए थे। ट्विटर को खरीदने की लगभग 44 अरब डॉलर की डील को पूरा करने में मस्क के नाकाम रहने के कारण ट्विटर ने उनके खिलाफ कानूनी मामला दायर किया है।
इस मामले की सुनवाई में Spiro ने यह
दावा किया था। ऐसा माना जाता है कि कंपनी ने Zatko को कुछ समस्याओं पर सार्वजनिक तौर पर जानकारी देने से रोका था। हालांकि वह एक सरकारी व्हिसलब्लोअर बनने के लिए स्वतंत्र हैं। मस्क को अक्टूबर में कंपनी के खिलाफ सुनवाई में Zatko की ओर से किए गए दावों का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है। मस्क का मानना है कि ट्विटर ने अपने प्लेटफॉर्म पर जाली एकाउंट्स की गलत संख्या बताई थी। इस वजह से उन्होंने कंपनी को नहीं खरीदने का फैसला किया है। ट्विटर के वकीलों ने Zatko की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था।
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