बड़ी ऑटोबाइल कंपनियों में शामिल Tata Motors ने अगले महीने से अपने सभी व्हीकल्स के प्राइसेज बढ़ाने की घोषणा की है। कंपनी ने बताया है कि इसका कारण इनपुट कॉस्ट में हुई बढ़ोतरी का कुछ बोझ कम करना है। प्राइसेज में बढ़ोतरी पेट्रोल और डीजल इंजन वाली कारों के साथ ही इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) पर भी लागू होगी।
एक मीडिया
रिपोर्ट के अनुसार, बताया है कि उसकी कारों के प्राइसेज को 0.7 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा। टाटा मोटर्स ने अपनी दूसरी इलेक्ट्रिक SUV Punch लॉन्च की है। इसके साथ ही कंपनी के पास चार इलेक्ट्रिक व्हीकल हो गए हैं। हाल ही में Maruti Suzuki ने भी अपने पैसेंजर व्हीकल्स के प्राइसेज में बढ़ोतरी की थी। कुछ अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भी अपनी कारों के प्राइसेज बढ़ाए हैं।
टाटा मोटर्स ने EV के लिए अगले दो वर्षों में लगभग 10,000 चार्जिंग स्टेशंस लगाने की तैयारी की है। इसके लिए Chargezone, Glida, Statiq और Zeon जैसे ऑपरेटर्स के साथ टाई-अप किया गया है। देश के EV सेगमेंट में टाटा मोटर्स का पहला स्थान है। इसके पास एक बड़ा EV चार्जिंग नेटवर्क भी है। कंपनी ने 1.15 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बिक्री की है।
Chargezone, Glida, Statiq और Zeon के पास देश के विभिन्न शहरों में लगभग 2,000 चार्जिंग स्टेशंस हैं। टाटा मोटर्स के साथ टाई-अप से इनकी संख्या बढ़कर लगभग 12,000 हो जाएगी।
टाटा मोटर्स ने केंद्र सरकार से हाइब्रिड कारों पर टैक्स में छूट नहीं देने का निवेदन किया है। हाइब्रिड कारों के सेगमेंट की प्रमुख कंपनी Toyota ने हाइब्रिड व्हीकल्स पर टैक्स में कटौती की मांग की थी। टाटा मोटर्स की मौजूदगी इंटरनल कम्बश्चन इंजन (ICE) और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) दोनों सेगमेंट में है। Reuters की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि टाटा मोटर्स का कहना है कि हाइब्रिड कारों पर टैक्स नहीं घटाना चाहिए क्योंकि ये EV की तुलना में अधिक पॉल्यूशन फैलाती हैं। इससे पहले टाटा मोटर्स ने अमेरिकी EV मेकर Tesla को इलेक्ट्रिक कारों के इम्पोर्ट पर टैक्स में छूट देने का भी विरोध किया था। पेट्रोल इंजन और एक इलेक्ट्रिक मोटर के साथ इलेक्ट्रिक बैटरी पैक का इस्तेमाल करने वाली हाइब्रिड कारों पर देश में 43 प्रतिशत का टैक्स है। इसकी तुलना में पेट्रोल इंजन वाली कारों पर 48 प्रतिशत का टैक्स लगता है। EV पर पांच प्रतिशत का टैक्स है।