देश में इस महीने की शुरुआत से डिजिटल रुपी का ट्रायल शुरू हो गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने होलसेल सेगमेंट के लिए ट्रायल की शुरुआत की है। इस प्रोजेक्ट में देश के सबसे बड़े लेंडर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) सहित नौ बैंकों को शामिल किया गया है। RBI ने बताया कि ट्रायल में यूज केस गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट ट्रांजैक्शंस को सेटल करने का होगा।
ई-रुपी से इंटरबैंक मार्केट अधिक एफिशिएंट बनने की संभावना है। RBI ने
कहा कि इस सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) से ट्रांजैक्शन कॉस्ट में कमी आएगी। इसके ट्रायल में SBI के अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, HDFC बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC शामिल हैं। रिटेल सेगमेंट के लिए ई-रुपी का लॉन्च चुनिंदा स्थानों पर एक महीने में शुरू करने की योजना है। RBI पिछले कुछ महीनों से CBDC के फायदे और नुकसान पर विचार कर रहा था। इससे पहले क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर RBI ने विरोध जताया था।
केंद्र सरकार ने इस वर्ष के बजट में 2022-23 के फाइनेंशियल ईयर से CBDC को लॉन्च करने की
घोषणा की थी। CBDC को दो कैटेगरी में रखा जा सकता है - सामान्य उद्देश्य या रिटेल (CBDC-R) और होलसेल (CBDC-W)। रिटेल CBDC को सभी के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि होलसेल CBDC का एक्सेस चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए होगा। CBDC एक ब्लॉकचेन पर बेस्ड पेमेंट सॉल्यूशन होता है, जिस पर सेंट्रल बैंक का कंट्रोल रहता है। यह क्रिप्टोकरेंसी की तरह काम करता है लेकिन क्रिप्टोकरेंसीज की तरह CBDC में वोलैटिलिटी और अन्य रिस्क नहीं होते।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि CBDC से देश के लोगों के लिए पेमेंट के विकल्प बढ़ जाएंगे। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इससे फाइनेंशियल इनक्लूजन को बढ़ाने के उसके लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। सरकार की ओर से CBDC के डिवेलपमेंट में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा और इसकी पूरी जिम्मेदारी RBI को दी गई है। कुछ देशों ने CBDC लॉन्च करने की योजना पर काम शुरू किया है। अमेरिका में फेडरल रिजर्व CBDC लॉन्च करने पर विचार कर रहा है। रूस ने डिजिटल रूबल कही जाने वाली अपनी CBDC की टेस्टिंग शुरू कर दी है।
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