बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों में शामिल Microsoft ने चेतावनी दी है कि भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव में चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल से गड़बड़ी कर सकता है। हाल ही में चीन ने ताइवान के प्रेसिडेंट के चुनाव में परिणाम को प्रभावित करने के लिए AI का इस्तेमाल किया था।
पिछले महीने
माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर, Bill Gates ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ राजधानी में मीटिंग की थी। इस मीटिंग में AI के इस्तेमाल और हेल्थ और एग्रीकल्चर में इनोवेशन पर चर्चा की गई थी। दुनिया भर में 60 से अधिक देशों में चुनाव होने वाले हैं। माइक्रोसॉफ्ट की थ्रेट इंटेलिजेंस टीम ने बताया है कि चीन की सरकार से समर्थन वाले सायबर ग्रुप उत्तर कोरिया की मदद से इस वर्ष होने वाले कई चुनावों को निशाना बना सकते हैं। इन चुनावों में चीन AI से तैयार किए गए कंटेंट को सोशल मीडिया के जरिए वायरल कर जनता की राय को बदलने का षडयंत्र कर सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट ने एक स्टेटमेंट में कहा है, "दुनिया भर में इस वर्ष कई बड़े चुनाव होने हैं। इनमें विशेषतौर पर भारत, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के चुनाव शामिल हैं। हमारा आकलन है कि चीन अपने हितों के फायदे के लिए AI से तैयार किए जाने वाले कंटेंट का इस्तेमाल कर सकता है।" देश में जल्द AI से जुड़े रेगुलेशंस को कानूनी दायरे में लाया जा सकता है। इसके लिए लोकसभा चुनाव के बाद एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर, Ashwini Vaishnaw ने एक बिजनेस न्यूजपेपर को दिए इंटरव्यू में बताया है कि
AI के लिए एक रेगुलेटरी स्ट्रक्चर बनाने की योजना है। उन्होंने कहा, "इसके लिए खुद रेगुलेट करने वाली संस्था बनाने का विचार था लेकिन हमें नहीं लगता कि यह पर्याप्त होगा। हमारा मानना है कि इस रेगुलेशन को कानूनी तरीके से करना चाहिए। हमने इस बारे में इंडस्ट्री के साथ विचार-विमर्श किया है। चुनाव के बाद कानून बनाने की ओर बढ़ने के लिए हम औपचारिक तौर पर कंसल्टेशन की प्रक्रिया को शुरू करेंगे।" Ashwini का कहना था कि रेगुलेशंस संतुलित होंगे और यह पक्का किया जाएगा कि इनोवेटर्स की क्रिएटिविटी को नुकसान न हो। पिछले वर्ष AI का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही डीपफेक्स जैसी समस्याएं भी सामने आई थी। इसके बाद सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Facebook और YouTube को इसे लेकर चेतावनी दी थी।