पिछले कुछ महीनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल से डीपफेक्स जैसी समस्याएं बढ़ी हैं। इससे निपटने के लिए देश में जल्द AI से जुड़े रेगुलेशंस को कानूनी दायरे में लाया जा सकता है। इसके लिए लोकसभा चुनान के बाद एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर, Ashwini Vaishnaw ने एक बिजनेस न्यूजपेपर को दिए इंटरव्यू में बताया कि
AI के लिए एक रेगुलेटरी स्ट्रक्चर बनाने की योजना है। उन्होंने कहा, "इसके लिए खुद रेगुलेट करने वाली संस्था बनाने का विचार था लेकिन हमें नहीं लगता कि यह पर्याप्त होगा। हमारा मानना है कि इस रेगुलेशन को कानूनी तरीके से करना चाहिए। हमने इस बारे में इंडस्ट्री के साथ विचार-विमर्श किया है। चुनाव के बाद कानून बनाने की ओर बढ़ने के लिए हम औपचारिक तौर पर कंसल्टेशन की प्रक्रिया को शुरू करेंगे।" Ashwini का कहना था कि रेगुलेशंस संतुलित होंगे और यह पक्का किया जाएगा कि इनोवेटर्स की क्रिएटिविटी को नुकसान न हो।
पिछले वर्ष AI का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही डीपफेक्स जैसी समस्याएं भी सामने आई थी। इसके बाद सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
Facebook और YouTube को डीपफेक्स को लेकर चेतावनी भी दी थी। हाल ही में मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, Rajeev Chandrasekhar ने बताया था, "इकोनॉमिक ग्रोथ के हमारे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए AI का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे एग्रीकल्चर और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स पर बड़ा असर पड़ेगा। हम ChatGPT के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करना चाहते। हम इस दिशा में नहीं जा रहे। देश की कई भाषाओं पर फोकस किया जाएगा।"
देश का AI मार्केट 2027 तक 25-35 प्रतिशत के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) के साथ बढ़कर 17 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। सॉफ्टवेयर कंपनियों के संगठन Nasscom और Boston Consulting Group की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस ग्रोथ के पीछे टेक पर एंटरप्राइसेज का खर्च बढ़ना और AI में इनवेस्टमेंट जैसे कारण होंगे। पिछले वर्ष इंटरनेट सर्च इंजन इंटरनेट सर्च इंजन Google पर की गई सर्च में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की हाई रैंकिंग थी। इसने क्रिप्टो, Bitcoin और Web3 से जुड़े कीवर्ड्स के जरिए की जाने वाली सर्च को पीछे छोड़ दिया था। पिछले वर्ष AI से जुड़े ChatGPT जैसे कीवर्ड्स को अधिक सर्च किया गया था।