बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों में शामिल Wipro ने अपने 300 एंप्लॉयीज को कंपनी के साथ ही इसके कॉम्पिटिटर्स में से किसी एक के साथ काम करने के कारण जॉब से निकाल दिया है। एंप्लॉयीज के एक साथ दो कंपनियों के लिए काम करने को मूनलाइटिंग कहा जाता है। Wipro के चेयरमैन Rishad Premji ने कहा कि मूनलाइटिंग कंपनी की पॉलिसी का बड़ा उल्लंघन है।
प्रेमजी का
कहना था, "कुछ लोग विप्रो के साथ ही हमारे कॉम्पिटिटर्स में से एक के साथ सीधे काम कर रहे हैं और हमने पिछले कुछ महीनों में ऐसे 300 एंप्लॉयीज का पता लगाया है।" उन्होंने बताया कि इन एंप्लॉयीज को कंपनी की पॉलिसी का उल्लंघन करने के कारण टर्मिनेट किया गया है। मूनलाइटिंग का मतलब गुपचुप तरीके से एक अन्य जॉब करना होता है। प्रेमजी ने कहा, "ट्रांसपैरेंसी के तौर पर लोग वीकेंड पर एक बैंड का हिस्सा बनने या एक प्रोजेक्ट पर काम करने के बारे में जानकारी दे सकते हैं। यह एक खुली बातचीत है और व्यक्ति इसका फैसला कर सकता है कि यह ठीक है या नहीं।"
उनका कहना था, "किसी एंप्लॉयी के विप्रो के साथ ही इसके कॉम्पिटिटर के साथ काम करने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर कॉम्पिटिटर को भी इस स्थिति का पता चलेगा तो भी उसे भी ऐसा ही महसूस होगा।" कोरोना महामारी से पहले भी सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री से जुड़े कुछ वर्कर्स ने मूनलाइटिंग को आमदनी बढ़ाने का जरिया बनाया था। कोरोना के दौरान वर्क फ्रॉम होम से ऐसा करना आसान हो गया था।
देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी Infosys ने भी मूनलाइटिंग के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। कंपनी ने हाल ही में एंप्लॉयीज को एक मैसेज में कहा था, "कोई दोहरा समय नहीं, कोई मूनलाइटिंग नहीं।" इंफोसिस ने यह स्पष्ट किया था कि कंपनी की पॉलिसी के तहत डुअल एंप्लॉयमेंट की अनुमति नहीं है। इंफोसिस ने एंप्लॉयीज को भेजी ईमेल में कहा था कि कंपनी की इससे जुड़ी शर्तों का उल्लंघन करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और इसमें टर्मिनेट करना भी शामिल हो सकता है। कोरोना के दौरान सॉफ्टवेयर
इंडस्ट्री में एंप्लॉयीज के नौकरी बदलने की दर बहुत बढ़ गई थी। बहुत सी सॉफ्टवेयर कंपनियों ने वर्कफोर्स बढ़ाने के लिए भारी पैकेज के ऑफर दिए थे। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में इस इंडस्ट्री की ग्रोथ कम होने का असर हायरिंग पर भी पड़ा है।