पिछले कई दशकों से कट्टरपंथी नियमों और कानूनों पर चलने वाले ईरान में इंटरनेट पर लगी पाबंदियों में छूट के संकेत मिल रहे हैं। ईरान ने बताया है कि वह इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp पर लगे बैन को हटाएगा। इसके साथ ही Google Play को भी ऑपरेट करने की अनुमति दी जाएगी।
ईरान को कई वर्षों से आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। परमाणु कार्यक्रम को बंद नहीं करने के कारण अमेरिका सहित बहुत से पश्चिमी देशों ने इस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। ईरान की इस्लामिक रिपब्लिक
न्यूज एजेंसी के अनुसार, सुप्रीम काउंसिल ऑफ सायबरस्पेस ने कुछ विदेशी इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर बैन को हटाने की स्वीकृति दी है। ईरान में 2009 में कट्टरपंथी Mahmoud Ahmadinejad के दोबारा चुने जाने के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद से Facebook,
YouTube और X सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया गया था। ईरान की सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों और विपक्ष को मजबूत करने के लिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार बताया गया था।
पिछले वर्ष आतंकवादी संगठन हमास ने इजरायल पर बड़ा हमला किया था। इसके बाद से इजरायल ने फिलिस्तीन और लेबनान जैसे देशों में हमास और हिज्बुल्ला के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए हमले किए हैं। इन आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने की वजह से भी ईरान को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
लगभग दो वर्ष पहले ईरान में ड्रेस कोड के उल्लंघन के कारण पुलिस की हिरासत में एक महिला की मृत्यु से भड़के प्रदर्शनों पर लगाम लगाने के लिए भी सरकार ने इंटरनेट को बंद कर दिया था। ईरान की पुलिस ने 22 वर्षीय महसा अमीनी को कथित तौर पर स्कार्फ को गलत तरीके से पहनने के लिए हिरासत में लिया था। महसा की पुलिस हिरासत में मृत्यु के बाद जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शनकारियों का पुलिस से भी टकराव हुआ था और वे सरकार को हटाने की मांग कर रहे थे। पुलिस ने इन पर नियंत्रण के लिए लाठीचार्ज करने के साथ ही अन्य कड़े तरीकों का भी इस्तेमाल किया था। प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सुरक्षा बलों ने लाठियों, आंसू गैस और पानी की वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया था। इन प्रदर्शनों में पुलिस के साथ टकराव के कारण कुछ लोगों की जान भी गई थी। ईरान में फ्यूल और नेचुरल गैस का बड़ा संकट है। इस वजह से इंडस्ट्री को चलाना मुश्किल हो गया है।