भारत और सिंगापुर ने सेमीकंडक्टर्स और डिजिटल टेक्नोलॉजी में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए टाई-अप किया है। इससे सेमीकंडक्टर्स की इंटरनेशनल सप्लाई चेन में इन दोनों देशों का महत्व बढ़ सकता है। अमेरिका और चीन के बीच तनाव के कारण सेमीकंडक्टर्स के सेगमेंट में बदलाव हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो दिन के सिंगापुर के विजिट के दौरान दोनों देशों ने चिप डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग में सहयोग बढ़ाने के लिए एग्रीमेंट किया है। इसके अलावा भारत में सिंगापुर के
टेक इनवेस्टमेंट को भी बढ़ाया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से जारी एक स्टेटमेंट में बताया गया है कि भारत और सिंगापुर सायबर सिक्योरिटी, फिफ्थ जेनरेशन मोबाइल नेटवर्क, सुपर कंप्यूटिंग और
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में भी मिलकर कार्य करेंगे।
अमेरिका और चीन के बीच तनाव से इंटरनेशनल चिप मार्केट में सप्लाई पर असर पड़ा है। इसका फायदा भारत, सिंगापुर और मलेशिया को मिल सकता है। इस वर्ष इंटरनेशनल चिप मार्केट की सेल लगभग 588 अरब डॉलर पर पहुंच सकती है। भू-राजनीतिक जोखिमों से बचने के लिए पश्चिमी देश और चीन अलग सप्लाई चेन बनाने में जुटे हैं। भारत में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री अपने शुरुआती दौर में है। हालांकि, सिंगापुर इस सेगमेंट में देशकों से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दक्षिणपूर्व एशिया में बड़े चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स में से कुछ सिंगापुर में हैं। इनमें NXP Semiconductors NV से लेकर Micron Technology तक शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी की योजना भारत को टेक्नोलॉजी में सुपरपावर बनाने की है। इसमें एक मजबूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम महत्वपूर्ण होगा।
भारत और सिंगापुर ने हेल्थ और स्किल डिवेलपमेंट के एरिया में भी एग्रीमेंट किए हैं। सिंगापुर के विदेश मंत्री Vivian Balakrishnan ने हाल ही में संवाददाताओं को बताया था कि तेजी से बढ़ते दक्षिण एशिया के मार्केट में भारत के साथ मजबूत संबंधों का फायदहोगा।उनका कहना था, "आपको पता है सिंगापुर बहुत छोटा देश है। हमारे पास इंटरनेशनल सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हिस्सा है।" भारत में सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 21 अरब डॉलर की योजना बनाई है। सिंगापुर की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज और ऑटोमोबाइल में इस्तेमाल होने वाले मेमोरी चिप्स और मैच्योर्ड लॉजिक प्रोसेसर्स में एक्सपर्टाइज है। इसका फायदा भारत को अपनी चिप इंडस्ट्री को तेजी से बढ़ाने में मिल सकता है। पिछले कुछ वर्षों में सेमीकंडक्टर्स की डिमांड तेजी से बढ़ी है। हालांकि, इसकी तुलना में इनकी सप्लाई कम है।