डिजिटल करेंसी की ओर बढ़ा भारत, शुरू हुआ डिजिटल रुपये का ट्रायल

देश में डीमॉनेटाइशन होने के बाद UPI पेमेंट्स में तेजी से ग्रोथ हुई है। इसका फायदा डिजिटल रुपये को भी मिल सकता है

डिजिटल करेंसी की ओर बढ़ा भारत, शुरू हुआ डिजिटल रुपये का ट्रायल

रिटेल सेगमेंट में ट्रायल के लिए CBDC को एक डिजिटल वॉलेट में दिया जाएगा

ख़ास बातें
  • यह ट्रायल चार बड़े शहरों में शुरू किया गया है
  • CBDC एक ब्लॉकचेन पर बेस्ड पेमेंट सॉल्यूशन होता है
  • क्रिप्टोकरेंसीज की तरह CBDC में वोलैटिलिटी और अन्य रिस्क नहीं होते
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देश में डिजिटल रुपये का रिटेल ट्रायल शुरू हो गया है। यह ट्रायल चार बड़े शहरों - दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में गुरुवार से शुरू किया गया है। इसके पूरा होने के बाद यह तय होगा कि क्या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) प्रति दिन की खरीदारियों के लिए एक एफिशिएंट जरिया है या नहीं। 

इस ट्रायल में हिस्सा लेने वाले बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, यस बैंक और IDFC फर्स्ट बैंक शामिल हैं। देश में डीमॉनेटाइशन होने के बाद UPI पेमेंट्स में तेजी से ग्रोथ हुई है। इसका फायदा डिजिटल रुपये को भी मिल सकता है।  CBDC एक ब्लॉकचेन पर बेस्ड पेमेंट सॉल्यूशन होता है, जिस पर सेंट्रल बैंक का कंट्रोल रहता है। यह क्रिप्टोकरेंसी की तरह काम करता है लेकिन क्रिप्टोकरेंसीज की तरह CBDC में वोलैटिलिटी और अन्य रिस्क नहीं होते। केंद्र सरकार ने इस वर्ष के बजट में 2022-23 के फाइनेंशियल ईयर से CBDC को लॉन्च करने की घोषणा की थी। 

टेलीकॉम फर्म Comviva के चीफ ट्रांसफॉर्मेशन ऑफिसर, Srinivas Nidugondi ने Gadgets 360 को बताया, "मौजूदा वर्ष की दूसरी तिमाही पहली तिमाही की तुलना में UPI ट्रांजैक्शंस में वॉल्यूम के लिहाज से लगभग 118 प्रतिशत और वैल्यू में 98 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक बड़ा बदलाव लाने वाला इनोवेशन है और भारत अपनी इकोनॉमी को डिजिटाइज करने में डिजिटल रुपये के लिए इसका इस्तेमाल कर रहा है।" डिजिटल रुपये का होलसेल सेगमेंट के लिए ट्रायल पिछले महीने शुरू किया गया था।

रिटेल सेगमेंट में ट्रायल के लिए CBDC को एक डिजिटल वॉलेट में दिया जाएगा। यह वॉलेट स्मार्टफोन और PC के साथ कम्पैटिबल होगा। इस बारे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक स्टेटमेंट में बताया है, "ट्रांजैक्शंस व्यक्ति से व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति से मर्चेंट (P2M) दोनों हो सकती हैं। मर्चेंट्स को पेमेंट्स मर्चेंट लोकेशंस पर मौजूद QR कोड के इस्तेमाल से की जा सकेंगी। कैश की तरह डिजिटल रुपये पर कोई इंटरेस्ट नहीं मिलेगा और न ही इसे बैंकों के पास फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे जरियों में कन्वर्ट किया जा सकेगा।" इससे ट्रांजैक्शंस की कॉस्ट में कमी होने की संभावना है। दुनिया के उन चुनिंदा सेंट्रल बैंकों में RBI शामिल है जिन्होंने CBDC प्रोजेक्ट शुरू किया है। 
 
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