भारत के पहले पायलट-रहित इंसान को ले जाने वाले ड्रोन को इस हफ्ते की शुरुआत में दुनिया के सामने पेश किया गया। ड्रोन को पेश किए जाने वाले इस इवेंट को राजधानी दिल्ली में आयोजित किया गया था, जहां प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) भी उपस्थित थे। पीएम मोदी ने इस ड्रोन का एक डेमो भी देखा, जिसमें ड्रोन को जमीन से 2 मीटर ऊपर उड़ाया गया। इस ड्रोन की रेंज 25 km है। इस स्वदेशी पायलट रहित ड्रोन का नाम 'Varuna' रखा गया है, जिसे ड्रोन स्टार्टअप सागर डिफेंस इंजीनियरिंग (Sagar Defence Engineering) द्वारा बनाया गया है।
Varuna सिंगल सीटर ड्रोन है, जिसमें एक व्यक्ति बैठ सकता है। इस ड्रोन को खास तौर पर भारतीय नौसेना के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है। वरुण को दो भागों में विकसित किया गया है। इस तरह के 30 ड्रोन भारतीय नौसेना को दिए जाएंगे और कथित तौर पर ऐसा पहली बार होगा कि भारतीय नौसेना अपने वारशिप पर ड्रोन को तैनात करेगी।
Drone Federation of India ने एक ट्वीट में इस ड्रोन के डेमो का वीडियो शेयर किया है, जिसमें डेमो को PM Modi देखते दिखाई दे रहे हैं। ट्वीट में लिखा है "माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन सेमिनार, नई दिल्ली में भारत के पहले मानव-वाहक ड्रोन 'वरुण' का लाइव प्रदर्शन देखा। वरुण की पेलोड क्षमता 130 किलोग्राम और अधिकतम सीमा 25 किमी है।"
Financial Express के
अनुसार, सागर डिफेंस इंजीनियरिंग के संस्थापक और सीईओ निकुंज पाराशर ने कहा, “यह ड्रोन विशेष रूप से भारतीय नौसेना द्वारा उपयोग के लिए बनाया गया है। वरुण को दो भागों में विकसित किया गया है। एक वह तकनीक है जो इसे चलते-फिरते युद्धपोतों से उतरने और उतारने में मदद करती है और दूसरा इसका प्लेटफॉर्म है। लैंडिंग और टेक ऑफ तकनीक को भारतीय नौसेना के डीएसआर के साथ मिलकर विकसित किया गया है और वरुण को वर्तमान में एनटीडीएसी (नौसेना प्रौद्योगिकी विकास त्वरण सेल) के साथ विकसित किया जा रहा है।
पाराशर ने आगे कहा, "30 ऐसे ड्रोन जो युद्धपोतों से उड़ सकते हैं और उतर सकते हैं, नौसेना को दिए गए हैं, और यह भी पहली बार है कि भारतीय नौसेना युद्धपोतों पर ड्रोन शामिल कर रही है।"
शुरुआत में इसका इस्तेमाल मटेरियल को ले जाने या स्थानांतरित करने के लिए किया जा सकता है। इसमें चार ऑटो-पायलट मॉडल हैं, जो ड्रोन को उड़ान जारी रखने में मदद करते हैं, भले ही इसके कुछ पंखे काम करने में विफल हो जाएं। यह नया वाहन मटेरियल और कर्मियों के इंटर-शिप ट्रांस्फर के लिए उपयोग किए जाने की क्षमता भी रखता है और साथ ही यह जहाजों के चलने पर भी खुद से टेक-ऑफ और लैंड करने में सक्षम है।