पिछले कुछ सप्ताह में चीन में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के कारण केंद्र सरकार ने सतर्कता के उपाय शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में चीन से आने वाले यात्रियों के लिए नेगेटिव RT-PCR को अनिवार्य किया जा सकता है। यह नियम अगले सप्ताह से लागू होने की संभावना है। इसके अलावा कुछ अन्य देशों से आने वाले वाले यात्रियों के लिए 72 घंटे पहले के RT-PCR को भी अनिवार्य किया जा सकता है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि चीन, जापान, हांगकांग, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और सिंगापुर से आने वाले यात्रियों के लिए नेगेटिव कोविड टेस्ट को अनिवार्य करने की संभावना है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले महीने से देश में कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं। हालांकि, हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा है कि कोरोना के मामले बढ़ने के बावजूद हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम रहेगी। पिछले दो दिनों में विदेश से भारत आने वाले यात्रियों में से 6,000 का कोविड टेस्ट किया गया है और इसमें 39 लोग इस वायरस से संक्रमित मिले हैं।
इस महामारी की शुरुआत
चीन से मानी जाती है। चीन में कोरोना के मामले दोबारा तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके BF.7 वेरिएंट के कारण वहां हालात बिगड़ रहे हैं। हॉस्पिटल्स में बड़ी संख्या में मरीज भर्ती हैं और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। चीन से आ रही
रिपोर्ट्स ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। इस सप्ताह चीन के एक हॉस्पिटल का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था, जिसमें देखा जा सकता है कि एक डॉक्टर काम के बोझ के कारण इतना थक गया कि अपनी कुर्सी पर ही गिर गया। विशेषज्ञों का दावा है कि अगले 90 दिनों में चीन की 60 फीसदी जनसंख्या और पूरी दुनिया की 10 फीसदी जनसंख्या को यह संक्रमण हो सकता है।
चीन में यह स्थिति तब है, जब यह देश ‘जीरो-कोविड पॉलिसी' को फॉलो करता है। इसके तहत कोरोना के मामलों में तेजी आने पर लॉकडाउन लगा दिया जाता है। महामारी विशेषज्ञ एरिक फेगल-डिंग ने चीन में कोरोना की खराब स्थिति के लिए थर्मोन्यूक्लियर बैड शब्द का इस्तेमाल किया है। इसका मतलब है कि चीन में हॉस्पिटल्स पर बहुत अधिक बोझ हैं और वे इसे संभाल नहीं पा रहे।
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