देश में पायरेसी का फैला जाल, 224 अरब रुपये पर पहुंचा कारोबार

अवैध कंटेंट के लिए स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स बड़ा सोर्स हैं। पायरेटेड कंटेंट में इनकी हिस्सेदारी लगभग 63 प्रतिशत की है

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Written by गैजेट्स 360 स्टाफ, Edited by आकाश आनंद, अपडेटेड: 24 अक्टूबर 2024 20:19 IST
ख़ास बातें
  • एंटरटेनमेंट और मीडिया इंडस्ट्री के लिए यह एक बड़ी चिंता है
  • इस समस्या से निपटने के लिए किए गए उपाय नाकाम दिख रहे हैं
  • पायरेटेड कंटेंट का इस्तेमाल करने वालों में युवाओं की बड़ी संख्या है

पायरेटेड कंटेंट की डिमांड तेजी से बढ़ रही है

पिछले कुछ वर्षों में पायरेसी की समस्या तेजी से बढ़ी है। इसमें मूवीज की पायरेसी की एक बड़ी हिस्सेदारी है। एंटरटेनमेंट और मीडिया इंडस्ट्री के लिए यह एक बड़ी चिंता है। पायरेसी से इस इंडस्ट्री को बिजनेस का बड़ा नुकसान हो रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए किए गए उपाय नाकाम दिख रहे हैं। 

कंसल्टेंसी फर्म EY और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष पायरेसी का कारोबार बढ़कर लगभग 224 अरब रुपये पर पहुंच गया। इसमें लगभग 137 अरब रुपये पायरेटेड मूवी थिएटर कंटेंट और 87 अरब रुपये अवैध OTT प्लेटफॉर्म कंटेंट से मिले थे। पायरेटेड कंटेंट की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। अवैध कंटेंट के लिए स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स बड़ा सोर्स हैं। पायरेटेड कंटेंट में इनकी हिस्सेदारी लगभग 63 प्रतिशत की है। इसके बाद मोबाइल ऐप्स (लगभग 16 प्रतिशत) और टॉरेंट और सोशल मीडिया (लगभग 21 प्रतिशत) हैं। 

देश में मीडिया के कंज्यूमर्स में से लगभग 51 प्रतिशत पायरेटेड सोर्सेज का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें से 75 प्रतिशत से अधिक 19-34 आयु वर्ग में हैं। आमतौर पर, पुरुषों को पुरानी फिल्में और महिलाओं को OTT कंटेंट अधिक पसंद आता है। हिंदी और इंग्लिश पायरेसी के लिहाज से दो सबसे बड़ी भाषाएं हैं। इनकी पायरेटेड कंटेंट में क्रमशः 40 प्रतिशत और 31 प्रतिशत हिस्सेदारी है। पायरेटेड कंटेंट का इस्तेमाल बढ़ने के पीछे बहुत से कारण हैं। इनमें सब्सक्रिप्शन फीस अधिक होना, कई एकाउंट्स को संभालने की मुश्किल और विशेष कंटेंट का ऑनलाइन उपलब्ध न होना बड़े कारण हैं। बहुत से लोग मूवी टिकटों या OTT सर्विसेज के लिए भुगतान करने से बचने के लिए भी पायरेटेड कंटेंट को पसंद करते हैं। 

IAMAI की डिजिटल एंटरटेनमेंट कमेटी के चेयरमैन, Rohit Jain ने चेतावनी दी कि देश की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए संभावनाओं को पायरेसी से नुकसान हो रहा है। EY की फॉरेंसिक एंड इंटीग्रिटी सर्विसेज के पार्टनर, Mukul Shrivastava ने पायरेसी से निपटने के लिए कड़े प्रवर्तन और तकनीकी समाधानों को लागू करने की जरूरत बताई। उन्होंने इस इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स से इस लड़ाई में एकजुट होने को भी कहा है। पायरेटेड कंटेंट के बड़े हिस्से की खपत टियर दो शहरों में होती है। इसके पीछे आमदनी कम होना और वैध कंटेंट तक सीमित पहुंच प्रमुख कारण हैं। 
 

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