रूस के सेंट्रल बैंक (CBR) ने यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों से बचने के लिए डिजिटल रूबल के ट्रायल की स्पीड बढ़ाने का फैसला किया है। CBR ने पहले डिजिटल रूबल को 2024 में लॉन्च करने की योजना बनाई थी लेकिन अब इसे अगले वर्ष अप्रैल तक प्रस्तुत करने की तैयारी की जा रही है।
डिजिटल रूबल का ट्रायल वास्तविक क्लाइंट्स के साथ स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के इस्तेमाल से शुरू किया जाएगा। EFE ने इंटरफैक्स के हवाले से
बताया है कि CBR की वाइस प्रेसिडेंट Olga Skorobogátova ने डिजिटल रूबल का ट्रायल तेज करने की घोषणा की है। ट्रायल में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स की टेस्टिंग भी शामिल होगी। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स ऐसे कोड में लिखे कंप्यूटर प्रोग्राम होते हैं जिनसे पार्टीज के बीच सहमति वाली शर्तों के इंटरमीडियरीज के बिना ऑटोमैटिक कम्प्लायंस की अनुमति मिलती है। CBR ने हाल ही में बताया था कि उसने बैंकों के साथ मिलकर बनाए गए डिजिटल रूबल के प्रोटोटाइप की टेस्टिंग शुरू कर दी है। टेस्टिंग में बैंक के कस्टमर्स के लिए डिजिटल वॉलेट्स खोलना और यूजर्स के लिए ट्रांसफर शामिल है।
हाल ही में रूस के इंडस्ट्री और ट्रेड मिनिस्टर Denis Manturov ने कहा था कि रूस जल्द ही क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट के कानूनी जरिए के तौर पर स्वीकृति देने का
फैसला कर सकता है। हालांकि, CBR का कहना है कि वह क्रिप्टोकरेंसीज में इनवेस्टमेंट की अनुमति नहीं देगा। इससे पहले CBR ने क्रिप्टोकरेंसीज की माइनिंग और ट्रेडिंग पर पूरी तरह रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था। रूस के लोग प्रति वर्ष लगभग 5 अरब डॉलर की क्रिप्टोकरेंसीज से जुड़ी ट्रांजैक्शंस करते हैं। Manturov ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसीज के इस्तेमाल से जुड़े रेगुलेशंस को सेंट्रल बैंक बनाएगा और इसके बाद सरकार की ओर से इन्हें स्वीकृति दी जाएगी।
पिछले वर्ष CBR ने क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस बढ़ने के कारण फाइनेंशियल सिस्टम के कमजोर होने की आशंका जताई थी। इसके अधिकारियों का कहना था कि रूस के फाइनेंशियल मार्केट में क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल होने की गुंजाइश नहीं है। बहुत से अन्य देश भी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर कानून बनाने की तैयारी कर रहे हैं। अमेरिका में हाल ही में इस सेगमेंट से जुड़ा एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर जारी हुआ था। इसमें फेडरल रिजर्व से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की संभावना पर विचार करने के लिए भी कहा गया था। अमेरिका में पिछले कुछ महीनों में क्रिप्टोकरेंसीज से जुड़े फ्रॉड के मामले बढ़े हैं। इस वजह से रेगुलेटर्स से इस सेगमेंट की स्क्रूटनी को सख्त करने पर जोर दिया है।
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