देश में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर केंद्र सरकार का रुख सख्त दिखाई दे रहा है। डिजिटल करेंसीज को लेकर केंद्र सरकार ने एक बिल तैयार किया है, जिससे जुड़े कुछ नए तथ्य रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में सामने रखे हैं। एक सोर्स और रॉयटर्स द्वारा देखे गए बिल के सारांश के अनुसार, देश में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर बैन लगाने वाला प्रस्तावित कानून इसका उल्लंघन करने वालों पर भी कार्रवाई कर सकता है। कानून का उल्लंघन करने वालों की बिना वॉरंट गिरफ्तारी हो सकती है और उन्हें जमानत भी नहीं मिलेगी।
नरेंद्र मोदी सरकार पहले ही यह इशारा कर चुकी है कि वह ज्यादातर
क्रिप्टोकरेंसीज पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है। सरकार का यह कदम चीन की ओर से अपनाए गए उपायों को फॉलो करता है। चीन ने सितंबर से क्रिप्टोकरेंसीज पर अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।
बिल के सारांश के अनुसार, भारत सरकार किसी भी व्यक्ति द्वारा डिजिटल करेंसी को ‘विनिमय का माध्यम' (medium of exchange), मूल्य का भंडार (store of value) और खाते की इकाई (a unit of account)' के तौर पर माइनिंग, जेनरेटिंग, होल्डिंग, सेलिंग (अथवा) डीलिंग जैसी सभी गतिविधियों को सामान्यत: प्रतिबंधित करने की योजना बना रही है।
इनमें से किसी भी नियम का उल्लंघन करना ‘संज्ञेय' होगा, जिसका मतलब है कि बिना वॉरंट के गिरफ्तारी संभव है, और ‘गैर जमानती' है।
मामले की सीधी जानकारी रखने वाला सोर्स मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं है और उन्होंने अपनी पहचान जाहिर करने से भी मना कर दिया। वहीं, वित्त मंत्रालय ने इस मामले में टिप्पणी के लिए भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं दिया।
हालांकि सरकार कह चुकी है कि उसका मकसद ब्लॉकचेन तकनीक को बढ़ावा देना है, पर वकीलों का कहना है कि प्रस्तावित कानून भारत में नॉन-फंजिबल टोकन मार्केट के लिए भी एक झटका होगा।
लॉ फर्म Ikigai Law के फाउंडर अनिरुद्ध रस्तोगी ने कहा, ‘अगर किसी भी पेमेंट की अनुमति नहीं है और ट्रांजैक्शन फीस के लिए कोई अपवाद नहीं बनाया गया है, तो यह ब्लॉकचेन के डिवेलपमेंट और NFT को भी रोक देगा।'
क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग पर नकेल कसने की सरकार की योजना के कारण कई इन्वेस्टर्स नुकसान के साथ मार्केट से बाहर निकल गए हैं।
बड़ी संख्या में एडवर्टाइजिंग और क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती कीमतों से आकर्षित होकर भारत में क्रिप्टो इन्वेस्टर्स की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि इसका कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है, पर इंडस्ट्री का अनुमान है कि देश में लगभग 15 मिलियन से 20 मिलियन क्रिप्टो इन्वेस्टर हैं। इनके पास लगभग 45 हजार करोड़ रुपये की क्रिप्टो होल्डिंग्स हैं।
सोर्स का यह भी कहना है कि सेल्फ-कस्टोडियल वॉलेट पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। सेल्फ-कस्टोडियल वॉलेट की मदद से इन्वेस्टर, क्रिप्टो एक्सचेंजों के बाहर डिजिटल करेंसीज को स्टोर कर सकते हैं।
बिल के मसौदे के सारांश में कहा गया है कि रिजर्व बैंक की चिंताओं के बाद डिजिटल करेंसीज को लेकर सख्त नियम बने हैं। इनका उद्देश्य पारंपरिक फाइनैंशल सेक्टर को क्रिप्टोकरेंसी से बचाने के लिए सुरक्षा उपाय देना है।
मसौदे के सारांश में यह भी कहा गया है कि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI क्रिप्टो असेट्स के लिए रेग्युलेटर होगा।