भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन को लेकर पिछले काफी समय से विचार कर रही है। सरकार के अधिकारियों ने टॉप क्रिप्टो स्टेकहोल्डर्स को मीटिंग के लिए बुलाया है। CoinSwitch Kuber, CoinDCX, WazirX, और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (BACC) सहित कई क्रिप्टो-आधारित कंपनियां इस बैठक का हिस्सा होंगी। पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन फाइनेंस इस कॉन्फ्रेंस को होस्ट करेगी जो 15 नवंबर को होनी है। इस कॉन्फ्रेंस के बारे में संबंधित पार्टियों को सूचित करने वाला एक आधिकारिक नोटिस लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी किया गया है।
ऑफिशिअल नोटिस पर इस बैठक के एजेंडा में लिखा गया है- "CryptoFinance: Opportunities and Challenges' विषय पर एसोसिएशन/इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के विचारों की सुनवाई।"
रिपोर्ट के अनुसार, मीटिंग से उम्मीद है कि इसमें राजनीति और इंडस्ट्री के दिग्गज भारतीय करेंसी और पूरी इकोनॉमी पर क्रिप्टोकरेंसी के प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा कर सकते हैं।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का पेचीदा इतिहास
2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो बिजनेस से डील करने वाले बैंकों पर बैन लगा दिया था। बाद में 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। भारत का संघीय वित्त मंत्रालय क्रिप्टो-स्पेस को स्ट्रक्चर देने के तरीकों पर काम कर रहा है और यह पता लगाने के लिए एक नई समिति का गठन भी किया गया है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग से होने वाली इनकम पर टैक्स लगाया जा सकता है। इस बीच, भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण क्रिप्टोकरेंसी के लिए ड्राफ्ट तैयारी की देखरेख कर रही हैं। बिल को इस साल के अंत में संसद में पेश किया जाएगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 2021 के अंत तक अपनी ऑफिशिअल डिजिटल करेंसी को एक रेगुलेटेड "सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)" के रूप में लॉन्च करने पर भी काम कर रही है।
भले ही क्रिप्टोकरेंसी भारत में फिलहाल कानूनी पेचीदगियों से घिरी है मगर बावजूद इसके भारत में इसको अपनाने की दर काफी अधिक है। भारत फिलहाल वियतनाम और पाकिस्तान के साथ दुनिया में सबसे तेजी से क्रिप्टो अपनाने वाले देशों में से एक है। Chainalysis की एक स्टडी के मुताबिक भारत ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स में दूसरे स्थान पर है।
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