भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) अपने तीसरे मून मिशन को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। अगले साल जून में चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को लॉन्च किया जाएगा। यह चंद्रमा की सतह पर खोज को लेकर महत्वपूर्ण अभियान है। इसरो अगले साल की शुरुआत में देश के पहले मानव अंतरिक्ष यान ‘गगनयान' के लिए ‘एबॉर्ट मिशन' की पहली टेस्ट फ्लाइट की भी तैयारी कर रहा है। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा है कि ‘चंद्रयान-3' (सी-3) मिशन को मार्क-3 लॉन्च वीकल के जरिए अगले साल जून में लॉन्च किया जाएगा।
गौरतलब है कि सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर ‘विक्रम' चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसके बाद चांद पर यान उतारने की भारत की पहली कोशिश नाकाम रही थी। इसरो प्रमुख ने कहा कि
चंद्रयान-3 मिशन तैयार है। यह
चंद्रयान-2 की रेप्लिका नहीं है। इस यान की इंजीनियरिंग एकदम अलग है। हमने इसे बहुत मजबूत बनाया है, ताकि पहले जैसी परेशानियां सामने ना आएं।
इसरो के मुताबिक, उसने चंद्रयान-3 में कई बदलाव किए हैं। किसी भी इक्विपमेंट के फेल होने की सूरत में बाकी इक्विपमेंट इसकी भरपाई करेंगे। चंद्रयान-3 के लिए जिस रोवर को तैयार किया गया है, वह यात्रा की ऊंचाई को बेहतर तरीके से कैलकुलेट कर सकता था है साथ ही ऐसी जगहों से खुद को बचा सकता है, जहां खतरा होा।
‘गगनयान' मिशन के बारे में इसरो प्रमुख ने कहा कि इसरो इंसान को अंतरिक्ष में ले जाने से पहले 6 परीक्षण उड़ानें करेगा। उन्होंने कहा कि ‘गगनयान' मिशन की तैयारी ‘‘धीमी और स्थिर गति से चल रही है।'' इस मिशन के तहत यह भी परखा जाएगा कि इसरो के पास बुरे हालात में चालक दल को बचाने की क्षमता है या नहीं। एबॉर्ट मिशन और मानवरहित परीक्षण उड़ान की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी साल 2024 के आखिर तक इंसान को अंतरिक्ष में भेज सकती है।
इस साल अगस्त में इसरो ने चंद्रयान-3 की पहली झलक दिखाई थी। चंद्रयान-3 को साल 2020 के आखिर में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस मिशन में देरी हुई। यह एक लैंडर-स्पेसिफिक मिशन है, जिसमें कोई ऑर्बिटर नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि चंद्रयान -2 का पहला ऑर्बिटर सही तरीके से काम कर रहा है। चंद्रयान-3 मिशन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चंद्रमा पर उतरने की इसरों की दूसरी कोशिश होगा और इंटरप्लेनेटरी मिशन की राह को बेहतर बनाएगा।