China AI Patents : चीन की बढ़ती ताकत हर क्षेत्र में दुनिया के विकसित देशों को चुनौती दे रही है। स्पेस सेक्टर में उसकी धमक हम देख चुके हैं। सुपरपावर अमेरिका भी चीनी मंसूबों को रोकने में कामयाब नहीं हो पा रहा। भविष्य में यह मुश्किल और कठिन होने वाली है, क्योंकि अब एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के क्षेत्र में भी चीन का दबदबा हो सकता है। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization) ने ‘जनरेटिव एआई पेटेंट स्थिति रिपोर्ट' (Generative AI Patent Status Report) को रिलीज किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से 2023 तक, चीनी आविष्कारकों ने सबसे ज्यादा संख्या में जनरेटिव एआई पेटेंट के लिए ऐप्लिकेशन दी है। यह अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान और भारत से कहीं ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार, बीते 10 साल में दुनियाभर में एआई से संबंधित आविष्कारों के ऐप्लिकेशंस की संख्या 54 हजार तक पहुंच गई। इन ऐप्लिकेशंस में से 25% तो पिछले साल ही आईं। रिपोर्ट कहती है कि 2014 से 2023 के बीच चीन में जनरेटिव एआई एक्सपेरिमेंट की संख्या 38 हजार से ज्यादा पहुंच गई। यानी कुल 54 हजार ऐप्लिकेशंस में से 38 हजार तो अकेले चीन ने सबमिट की हैं। यह नंबर सेकंड पोजिशन पर काबिज अमेरिका से छह गुना ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार, जनरेटिव एआई अब लाइफ साइंस, मैन्युफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्ट, सिक्योरिटी एंड टेलिकम्युनिकेशंस जैसी इंडस्ट्री में भी फैल गया है। जनरेटिव एआई पेटेंट पर फोटो और वीडियो डेटा हावी है। उसके बाद वॉइस और म्यूजिक से जुड़े पेटेंट फाइल किए गए हैं। मॉलिक्यूलर, जेनेटिक और प्रोटीन डेटा के लिए भी जेनरेटिव एआई पेटेंट तेजी से बढ़ रहे हैं।
याद रहे कि जेनरेटिव एआई का इस्तेमाल सीधे आप और हम यानी यूजर्स कर पाते हैं। इसकी मदद से लोग टेक्स्ट, फोटो, म्यूजिक, कंप्यूटर कोड जैसी चीजें तैयार कर पाते हैं। दुनिया की बड़ी टेक कंपनियां- गूगल, फेसबुक भी जेनरेटिव एआई के क्षेत्र में अपने प्रोडक्ट्स लेकर आ रही हैं।