NISAR सैटेलाइट को आंध्र प्रदेश में सतीश धवन स्पेस सेंटर से 30 जुलाई को 8:10 a.m. (भारतीय समय के अनुसार) लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए पिकअप ट्रक के साइज के स्पेसक्राफ्ट का इस्तेमाल होगा। इस सैटेलाइट के ऑर्बिट में पहुंचने के बाद इसके डुअल-फ्रीक्वेंसी राडार एक दिन में धरती का 14 बार चक्कर लगाएंगे। इससे प्रत्येक 12 दिनों में धरती पर सभी जमीन और बर्फ की सतहों की स्कैनिंग की जाएगी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार पर ग्लेशियर्स का पिघलना भी असर डाल सकता है। धरती पर अल नीनो और ला नीना जैसी मौसम से जुड़ी स्थितियां भी एक कारण हो सकती हैं। इनसे धरती पर भार का वितरण बदलता है जिससे इसके घूमने की गति पर असर हो सकता है। इसके लिए चंद्रमा भी जिम्मेदार हो सकता है।
नासा (Nasa) के पार्कर सोलर प्रोब ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर सूर्य (Sun) के बेहद नजदीक से उड़ान भरी थी। वह एक ऐतिहासिक पल था। हालांकि वैज्ञानिकों को अबतक यह मालूम नहीं है कि पार्कर सोलर प्रोब ‘जिंदा’ है या फिर सूर्य की गर्मी से ‘राख’ हो गया। रिपोर्टों के अनुसार, इसमें कुछ दिनों का टाइम लग सकता है। वैज्ञानिक इंतजार कर रहे हैं कि पार्कर सोलर प्रोब का उनसे संपर्क हो पाए और वह संकेत भेजे कि सबकुछ ठीक है।