सरकार के प्रस्तावित SIM-बाइंडिंग नियम को लेकर यूजर्स में असहमति बढ़ रही है। LocalCircles सर्वे दिखाता है कि 60% लोग इसे असुविधाजनक मानते हैं, खासकर वे जो WhatsApp/Telegram को कई डिवाइस पर चलाते हैं।
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भारत में मैसेजिंग ऐप्स को लेकर जल्द ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। सरकार इस समय एक ऐसे नियम पर विचार कर रही है, जिसमें WhatsApp, Telegram जैसे ऐप्स को लगातार उसी SIM से लिंक रहना होगा, जिससे अकाउंट रजिस्टर किया गया था। देखने में यह कदम सिक्योरिटी बढ़ाने वाला लगता है, लेकिन इससे पहले ही यूजर्स में नाराजगी उभरने लगी है। LocalCircles के ताजा सर्वे में सामने आया है कि देश में बड़ी संख्या में लोग इस नियम को असुविधाजनक मान रहे हैं और डर है कि इससे उनकी रोजमर्रा की मैसेजिंग का एक्सपीरिएंस खराब हो जाएगा।
सर्वे के अनुसार, 3.32 लाख जिलों से मिले 1.15 लाख रेस्पॉन्स में लगभग 60% लोगों ने माना कि अगर नियम लागू होता है, तो उनके ऐप इस्तेमाल करने का तरीका बदल जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से लगभग आधे लोग ऐसे हैं जो इसे पूरी तरह नापसंद करते हैं, क्योंकि वे कई डिवाइस - जैसे टैबलेट, लैपटॉप और डेस्कटॉप पर एक ही ऐप का इस्तेमाल करते हैं।
DoT का प्रस्ताव यह कहता है कि मैसेजिंग ऐप को SIM से लगातार ऑथेंटिकेट होना पड़ेगा। इतना ही नहीं, वेब वर्जन, जैसे WhatsApp Web को हर छह घंटे में ऑटो-लॉगआउट करना होगा। सरकार का कहना है कि इससे डिजिटल स्कैम, फेक अकाउंट और इम्पर्सनेशन पर रोक लगेगी, लेकिन आम यूजर्स को इससे उल्टा असर दिख रहा है।
काफी लोगों ने यह भी बताया कि उनके कई डिवाइस में SIM स्लॉट ही नहीं होता। लगभग 40% प्रतिभागियों ने कहा कि वे रोज ऐसे डिवाइस पर WhatsApp या कॉलिंग ऐप चलाते हैं, जिसमें SIM नहीं है। 30% यूजर्स ने माना कि यह नियम सीधे-सीधे उनकी ऐप यूसेज आदत पर असर डालेगा, जबकि समान प्रतिशत ने कहा कि थोड़ा-बहुत असर जरूर पड़ेगा।
सिक्योरिटी रिलेटेड फायदे को भी यूजर्स ने पूरी तरह नकारा नहीं है। सर्वे में दो-तिहाई लोगों ने माना कि SIM-बाइंडिंग से सुरक्षा कुछ हद तक बेहतर हो सकती है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इतनी सख्ती यूजेबिलिटी को बहुत प्रभावित कर सकती है। 15% जवाबों में यह भी कहा गया कि नियम से कोई ठोस सुरक्षा लाभ नहीं दिखता।
इस बीच प्राइवेसी और प्रैक्टिकल दिक्कतें भी उठाई जा रही हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर कोई व्यक्ति विदेश यात्रा कर रहा हो या SIM बदलकर Wi-Fi पर ऐप इस्तेमाल कर रहा हो, तो क्या वह लॉक आउट हो जाएगा? सर्वे के अनुसार 52% लोगों ने साफ कहा कि वे अपने भारतीय WhatsApp अकाउंट से बाहर होने का रिस्क नहीं लेना चाहेंगे। DoT ने बाद में सफाई दी कि रोअमिंग पर यह नियम लागू नहीं होगा, लेकिन इसे कैसे लागू किया जाएगा, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है।
तैयारी को लेकर भी राय मिली-जुली सामने आई है। लगभग 39% लोग SIM-बेस्ड वेरिफिकेशन के लिए तैयार दिखे, जबकि 30% ने कहा कि वे इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं।
टेलिकॉम इंडस्ट्री इस नियम का समर्थन कर रही है, यह कहते हुए कि इससे स्कैमर्स की पहचान करना आसान होगा। लेकिन साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि फ्रॉड करने वाले लोग अक्सर ऐसी सीमाओं को आसानी से बायपास कर लेते हैं, जबकि आम यूजर्स को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
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