सरकार ने इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए नियमों में बदलाव करने की घोषणा की है।
Photo Credit: Unsplash/Alexander Shatov
WhatsApp उपयोग करने का तरीका बदल जाएगा।
सरकार ने इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए नियमों में बदलाव करने की घोषणा की है। अगर आप WhatsApp, Telegram, Signal, Arattai, Snapchat और Sharechat समेत किसी अन्य मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं तो आपका इस्तेमाल करने का तरीका बदलने वाला है। दरअसल इन ऐप्स के लिए सिम कार्ड वेरिफिकेशन लागू होगा और वेब बेस्ड सेशन में हर 6 घंटे में ऑटोमैटिक लॉगआउट होना अनिवार्य होगा। अगर यूजर्स के अपने डिवाइस में फिजिकल सिम कार्ड नहीं होगा, जिससे उन्हें ऐप के लिए रजिस्टर्ड किया है तो वो इन सर्विस का उपयोग नहीं कर पाएंगे। दूसरसंचार विभाग (DoT) के इस निर्देश का उद्देश्य साइबर फ्रॉड से बचाव करना है। आइए जानते हैं कि वॉट्सऐप समेत इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स के लिए क्या कुछ बदलने वाला है।
सरकार के अनुसार, इन कम्युनिकेशन ऐप्स को 90 दिनों के अंदर यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सर्विस का उपयोग करने वाले डिवाइस में रजिस्ट्रेशन के समय उपयोग की गई सिम वर्तमान में हर समय मौजूद होनी चाहिए। अगर डिवाइस में सिम नहीं है तो एक्सेस ब्लॉक करना होगा। सिम बाइंडिंग जैसी टेक्निकल जरूरत से यह पता चलता है। इसके अलावा वॉट्सऐप वेब समेत इन ऐप्स के वेब बेस्ड वर्जन में हर 6 घंटे बाद अपने आप लॉगआउट अनिवार्य हो जाएगा, जिससे साइबर फ्रॉड से काफी हद तक बचाव होगा।
सरकार को पता चला है कि कुछ ऐप बेस्ड कम्युनिकेशन सर्विस जो अपने ग्राहकों कि पहचान के लिए मोबाइल नंबर का उपयोग कर रही हैं, लेकिन यूजर्स के डिवाइस में सिम के बिना ही सर्विस उपयोग करने की अनुमति देती हैं। इससे टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी के लिए चुनौती पैदा हो रही है, क्योंकि देश के बाहर से साइबर फ्रॉड करने के लिए इसका गलत उपयोग हो रहा है।
भारत में WhatsApp को बड़े स्तर पर उपयोग किया जाता है और नए नियमों से काफी कुछ बदल सकता है। कई लोग स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे कई डिवाइस का उपयोग करते हैं या दो स्मार्टफोन उपयोग करते हैं, लेकिन दोनों डिवाइसेज पर एक ही अकाउंट उपयोग करने के लिए उन्हें लिंक कर देते हैं। सिम बाइंडिंग के नियम के चलते इसमें रुकावट आ सकती है। वहीं काम के दौरान अपने लैपटॉप और कंप्यूटर पर वॉट्सऐप का उपयोग करने वाले यूजर्स को बीच-बीच में रुकावट का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि वेब बेस्ड सेशन के दौरान हर 6 घंटे में लॉग आउट होगा।
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