जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप के लेंस में ‘नमक’ क्‍यों? नासा ने बताई वजह

नासा के वीडियो में बताया गया है कि नमक खाने में इस्‍तेमाल होने से भी ज्‍यादा उपयोगी है।

जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप के लेंस में ‘नमक’ क्‍यों? नासा ने बताई वजह

Photo Credit: Nasa

हम जो नमक खाते हैं, वह सोडियम क्लोराइड है। इसके अलावा भी नमक कई प्रकार का होता है।

ख़ास बातें
  • James Webb Telescope ने अपने सभी अहम डिप्‍लॉयमेंट्स पूरे कर लिए हैं
  • नासा 74,100 करोड़ रुपये की इस ऑब्‍जर्वेट्री के बारे में तथ्‍य बता रही है
  • इनमें कुछ लेंस शामिल हैं, जो नमक से बने हैं
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नासा (NASA) के जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप (James Webb Telescope) ने अपने सभी अहम डिप्‍लॉयमेंट्स पूरे कर लिए हैं। इसके तहत टेलीस्‍कोप के सनशील्ड और सेकेंडरी मिरर को उनकी जगह पर सेट किया जा चुका है। अब यह ऑब्‍जर्वेट्री ‘कूलिंग पीरियड' में दाखिल हो गई है। ऐसे में नासा 74,100 करोड़ रुपये की इस ऑब्‍जर्वेट्री के बारे में कुछ दिलचस्‍प तथ्‍य शेयर कर रही है। इनमें कुछ लेंस शामिल हैं, जो नमक से बने हैं। सवाल यह है कि इस इन्फ्रारेड टेलीस्कोप को ‘नमकीन' लेंस की जरूरत क्यों है? टेलीस्कोप पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने एक नए वीडियो के जरिए बताया है कि इस ऑब्‍जर्वेट्री के लिए नमक क्यों महत्वपूर्ण है। खास बात यह भी है कि जेम्स वेब टेलिस्कोप एक नहीं, बल्कि तीन तरह के सॉल्‍ट लेंस का इस्तेमाल करता है।

लेंस कई तरह के हैं। मिरर्स यानी दर्पण, परावर्तक (reflective) लेंस होते हैं। यह लाइट को मोड़ते हैं। जबक‍ि ट्रांसमिसिव लेंस रोशनी को उनके माध्यम से गुजरने देते हैं। जेम्स वेब टेलीस्‍कोप के लिए इन्फ्रारेड लाइट, ‘दृश्य प्रकाश' (visible light) से अलग तरह से व्यवहार करती है और इस ऑब्‍जर्वेट्री के लिए अहम भूमिका निभाती है। अहम बात यह है कि‍ ग्‍लास, इन्फ्रारेड लाइट को अवशोषित करता है, लेकिन नमक नहीं करता।
नासा के वीडियो में बताया गया है कि नमक खाने में इस्‍तेमाल होने से भी ज्‍यादा उपयोगी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, नमक एक पॉजिट‍िव चार्ज एलिमेंट और निगेटिवली चार्ज हैलाइड का संयोजन है। हम जो नमक खाते हैं, वह सोडियम क्लोराइड है। इसके अलावा भी नमक कई प्रकार का होता है। जैसे- लिथियम फ्लोराइड, बेरियम फ्लोराइड और जिंक सेलेनाइड।

हालांकि लंबे समय तक काम करने के दौरान इन लेंसों को अंतरिक्ष मलबे से भी खतरा है। इनमें माइक्रोमीटरोइड्स भी शामिल हैं।

नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिक मिशेल थेलर ने एक लाइवस्ट्रीम के दौरान कहा कि छोटे उल्कापिंडों से छोटे असर पड़ना तय है। हालांकि नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह टेलीस्‍कोप 10 साल तक चलने वाला है। उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए उसके पास योजनाएं हैं।

सनशील्ड की पांच परतें न केवल टेलीस्‍कोप को गर्मी, बल्कि धूल और मलबे से भी बचाती हैं। हालांकि छोटा उल्कापिंड किसी भी तरफ से आ सकता है और दूरबीन के किसी भी हिस्से को नुकसान पहुंचा सकता है। 

नासा ने 25 दिसंबर को जेम्स वेब को लॉन्च किया था। वह पिछले दो हफ्तों से इसे अंतरिक्ष में सेट कर रहा है। इसे अपने अहम डिप्लॉयमेंट पूरे कर लिए हैं। जेम्स वेब अब तक का बनाया गया सबसे बड़ा टेलीस्‍कोप है। इसका मकसद खगोलविदों को सफल खोजों में मदद करना है। यह प्रोजेक्‍ट NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी ने मिलकर शुरू किया है।
 
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