वर्षों से एक सवाल दुनियाभर के वैज्ञानिकों के मन में है कि एलियंस (Aliens) हमसे कब कॉन्टैक्ट करेंगे। रिसर्चर्स की एक टीम का यह मानना है कि शायद एलियंस हमसे कॉन्टैक्ट करने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं। तो आखिर वह सही समय कब आएगा? रिसर्चर्स की एक टीम ने यह अनुमान लगाने की कोशिश भी की है। इसका सीधा कनेक्शन एक्सोप्लैनेट से है यानी वो ग्रह जो हमारे सूर्य के अलावा अन्य सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
नई स्टडी में रिसर्चर्स ने E.T. (एक्स्ट्रटरेस्ट्रीअल) यानी परग्रहियों के तकनीकी संकेतों को स्टडी किया। वैज्ञानिकों को लगता है कि जिस समय एक्सोप्लैनेट अपने सूर्य के ठीक सामने से गुजरते हैं और पृथ्वी के नजरिए से वह बेस्ट समय हो, तो वह एक सटीक क्षण हो सकता है। उस समय एलियंस की ओर से पृथ्वीवासियों को सिग्नल भेजा जा सकता है।
स्टडी की प्रमुख
सोफिया शेख ने कहा कि एक्सोप्लैनेट का अपने सूर्य के सामने से गुजरना एक पूर्वअनुमानित समय है। इस दौरान एलियंस मैसेज भेजने के बारे में सोच सकते हैं। पृथ्वीवासी भी सिग्नलों को हासिल करने के लिए कोशिश कर सकते हैं। लाइव साइंस की
रिपोर्ट के अनुसार, यह स्टडी वैज्ञानिकों की मदद कर सकती है कि इतने विशाल अंतरिक्ष में उन्हें कहां देखना है। आमतौर पर एक्सोप्लैनेट्स को लेकर वैज्ञानिक यही मानते आए हैं उनमें से किसी ग्रह पर जीवन मौजूद हो सकता है।
यह अध्ययन 9 दिसंबर को प्रीप्रिंट साइट arXiv पर पब्लिश हुआ था। हालांकि स्टडी में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि एलियंस ने हमसे कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की हो। स्टडी के तहत रिसर्चर्स ने एक दर्जन से ज्यादा ग्रहों को खोजा, जो पृथ्वी से बहुत दूर हैं। भविष्य में इन ग्रहों को टेलिस्कोप की मदद से टटोला जाएगा।
रेडियो टेक्नॉलजी का आविष्कार होने के बाद से हमारे वैज्ञानिकों ने कई बार पृथ्वी से बाहर सिग्नल ट्रांसमिट किए हैं, इस उम्मीद में कि शायद उन्हें इनका कोई रिप्लाई मिले। रिसर्चर्स हमारी आकाशगंगा को भी टटोलते रहते हैं। हालांकि अबतक एक भी बार उनका सीधा संपर्क एलियंस से नहीं हो पाया है। सोफिया शेख और उनके साथियों की स्टडी इसलिए अहम है क्योंकि इससे हमारे वैज्ञानिक उस तरफ फोकस कर सकते हैं, जहां एलियंस की मौजूदगी हो।