• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • Video : जापान ने भी चांद पर भेजा मिशन, हम 40 दिन में पहुंच गए थे, उसे 4 महीने लगेंगे! इतना टाइम क्‍यों? जानें

Video : जापान ने भी चांद पर भेजा मिशन, हम 40 दिन में पहुंच गए थे, उसे 4 महीने लगेंगे! इतना टाइम क्‍यों? जानें

Japan moon mission : H-2A नाम के रॉकेट ने ‘स्लिम’ स्‍पेसक्राफ्ट को लेकर उड़ान भरी। इसी रॉकेट के जरिए XRISM स्‍पेस टेलिस्‍कोप को भी रवाना किया गया।

Video : जापान ने भी चांद पर भेजा मिशन, हम 40 दिन में पहुंच गए थे, उसे 4 महीने लगेंगे! इतना टाइम क्‍यों? जानें

Photo Credit: JAXA

चांद तक पहुंचने के लिए SLIM स्‍पेसक्राफ्ट लंबा रास्‍ता तय करेगा, जिसमें कम ईंधन की खपत होगी।

ख़ास बातें
  • H-2A नाम के रॉकेट ने भरी उड़ान
  • चार महीनों के सफर पर निकला स्‍पेसक्राफ्ट
  • एक स्‍पेस टेलीस्‍कोप भी लॉन्‍च किया गया
विज्ञापन
भारत के चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) मिशन के बाद गुरुवार को जापान ने भी चांद पर अपना मिशन लॉन्‍च कर दिया। जापानी स्‍पेस एजेंसी जाक्‍सा (JAXA) ने स्लिम स्‍पेसक्राफ्ट (SLIM) को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के मकसद से रवाना किया। H-2A  नाम के रॉकेट ने ‘स्लिम' स्‍पेसक्राफ्ट को लेकर उड़ान भरी। इसी रॉकेट के जरिए XRISM स्‍पेस टेलिस्‍कोप को भी रवाना किया गया, जो अपनी मंजिल पर पहुंचने के बाद ब्रह्मांड की कुछ सबसे गर्म जगहों का अवलोकन करेगा।   

रिपोर्ट के अनुसार, स्‍थानीय समय के अनुसार सुबह 7:42 बजे तनेगाशिमा स्‍पेस सेंटर से मिशन लॉन्‍च हुए। एक घंटे से भी कम वक्‍त में दोनों स्‍पेसक्राफ्ट को उनकी कक्षा में पहुंचा दिया गया। स्लिम स्‍पेसक्राफ्ट को अपना सफर अब खुद तय करना है। सबकुछ सही रहा, तो अगले कुछ महीनों में यह चांद पर पहले से तय जगह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा। 
 

खास यह है कि भारत का चंद्रयान-3 करीब 40 दिनों में अपने लक्ष्‍य तक पहुंच गया था, जबकि जाक्‍सा के SLIM को इसमें ज्‍यादा समय लगेगा। रिपोर्ट के अनुसार, चांद तक पहुंचने के लिए SLIM स्‍पेसक्राफ्ट लंबा रास्‍ता तय करेगा, जिसमें कम ईंधन की खपत होगी। यह तीन से चार महीने में चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचेगा। फ‍िर करीब एक महीने तक चंद्रमा का चक्‍कर लगाते हुए उसे टटोलेगा। 



उसके बाद शियोली क्रेटर (Shioli Crater) में लैंडिंग की कोशिश की जाएगी। जापानी स्‍पेस एजेंसी ने कहा है कि SLIM का लक्ष्य तय जगह पर सटीक लैंडिंग को हासिल करना और एक प्रोब के तौर पर मिशन को सफल बनाना है। SLIM लैंडर की तुलना भारत के विक्रम लैंडर से की जाए, तो यह वजन में बहुत कम है। SLIM लैंडर लगभग 200 किलो का है, जबकि विक्रम लैंडर का वजन 1750 किलो था। विक्रम लैंडर ने चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की थी, जहां आजतक कोई और देश अपना मिशन नहीं पहुंचा सका है। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Huawei Mate 80 सीरीज की जोरदार डिमांड, सात लाख यूनिट्स से ज्यादा की बिक्री
  2. Samsung Galaxy A07 5G के जल्द लॉन्च की तैयारी, Geekbench पर हुई लिस्टिंग
  3. Bitcoin में भारी गिरावट, 86,000 डॉलर से नीचे गया प्राइस
  4. AI+ NovaFlip: फोल्ड होने वाला फोन Rs 40 हजार के अंदर, जानें भारत में कब होगा लॉन्च
  5. चीन-अमेरिका की उड़ेगी नींद! भारत ने तैयार किया देश का पहला स्वदेशी 64-बिट डुअल-कोर माइक्रोप्रोसेसर
  6. Redmi K90 Ultra में हो सकती है 10,000mAh की मेगा बैटरी, स्लिम डिजाइन
  7. Realme 16 Pro सीरीज के लिए डिजाइनर Naoto Fukasawa के साथ हुआ कोलेब्रेशन, भारत के लिए होंगे 2 एक्सक्लूसिव कलर
  8. ट्रैवल कर रहे हैं तो संभल जाइए! फर्जी होटल बुकिंग वेबसाइट के जरिए हुआ बड़ा स्कैम, जानें पूरा मामला
  9. 1,000 करोड़ की ठगी और 111 फर्जी कंपनियां, कैसे CBI ने इस बड़े साइबर फ्रॉड का किया खुलासा, यहां जानें
  10. Realme Narzo 90x 5G vs Poco C85 5G vs Redmi 15C 5G: देखें कौन सा फोन है बेस्ट?
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »