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समुद्र के नीचे मंडरा रहा है 'शार्ककैनो' नाम का खतरा कभी भी फट सकता है, NASA की चेतावनी!

2008 में की गई एक स्टडी पर रोशनी डालते हुए ब्लॉग कहता है कि सुपरहीटेड, अम्लीय पानी के ऐसे प्लम में आमतौर पर पार्टिकुलेट मैटर, ज्वालामुखीय चट्टान के टुकड़े और सल्फर होते हैं।

समुद्र के नीचे मंडरा रहा है 'शार्ककैनो' नाम का खतरा कभी भी फट सकता है, NASA की चेतावनी!

1939 में रिकॉर्ड किया गया था इस ज्वालामुखी का पहला विस्फोट

ख़ास बातें
  • NASA के Earth Observatory ने अपने एक ब्लॉग में शेयर की तस्वीरें
  • इस सबमरीन ज्वालामुखी में पहली बार 1939 में रिकॉर्ड हुआ था विस्फोट
  • 2007 और 2014 में भी कवाची में बड़े विस्फोट देखे गए थे
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सोलोमन (Solomon) द्वीप में कवाची ज्वालामुखी (Kavachi Volcano) प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में सबसे सक्रिय सबमरीन ज्वालामुखियों में से एक है। NASA भी इसे लेकर गंभीर दिखाई दे रहा है। स्मिथसोनियन ग्लोबल ज्वालामुखी कार्यक्रम के अनुसार, यह ज्वालामुखी अक्टूबर 2021 में विस्फोट फेज़ में दाखिल हो गया था, जिसके बाद सैटेलाइट डेटा में देखा गया कि अप्रैल और मई 2022 के बीच कई दिन कवाची के आसपास के पानी का रंग भी बदला हुआ था।

NASA के Earth Observatory ने अपने एक ब्लॉग में 14 मई, 2022 को Lansat 9 पर ऑपरेशनल लैंड इमेजर -2 (OLI-2) द्वारा ली गई तस्वीर को शेयर किया, जिसमें सबमरीन वोल्केनो से निकलने वाला फीका पड़ा पानी दिखाई दे रहा है। यह मटमैले पानी कई किलोमीटर तक फैला दिखाई दे रहा है।

2008 में की गई एक स्टडी पर रोशनी डालते हुए ब्लॉग कहता है कि सुपरहीटेड, अम्लीय पानी के ऐसे प्लम में आमतौर पर पार्टिकुलेट मैटर, ज्वालामुखीय चट्टान के टुकड़े और सल्फर होते हैं। ज्वालामुखी के लिए 2015 के एक वैज्ञानिक अभियान में पाया गया था कि पानी में डूबे इस क्रेटर में दो प्रजातियों की शार्क रहती हैं, जिनमें से एक हैमरहेड शार्क है। इसके अलावा, उस समय रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि यहां सल्फर में पनपने वाले माइक्रोबियल भी थे।
 

ऐसी परिस्थिति में शार्क का जीवित रहना निश्चित तौर पर रिसर्चर्स के लिए एक्टिव सबमरीन वोल्केनो की इकोलोजी को लेकर कई नए सवाल लेकर आया। इन सवालों और अपनी रिसर्च के बारे में रिसर्चर्स ने 2016 में पब्लिश हुए समुद्र विज्ञान लेख में लिखा, जिसका टाइटल Exploring the “Sharkcano” था ।

इस हालिया एक्टिविटी से पहले, 2007 और 2014 में कवाची में बड़े विस्फोट देखे गए थे। Earth Observatory के ब्लॉग में बताया गया है कि ज्वालामुखी लगातार फटता है, और आस-पास के बसे हुए द्वीपों के निवासी अक्सर दिखाई देने वाली भाप और राख की जानकारी देते रहते हैं।

1939 में अपने पहले रिकॉर्ड किए गए विस्फोट के बाद से, कवाची ने कई मौकों पर अल्पकालिक द्वीप (ephemeral islands) बनाए हैं, लेकिन समुद्र की लहरों ने एक किलोमीटर तक लंबे इन द्वीपों को बहा दिया। ज्वालामुखी का शिखर वर्तमान में समुद्र तल से 20 मीटर (65 फीट) नीचे होने का अनुमान है और इसका बेस समुद्र तल पर 1.2 किलोमीटर (0.75 मील) की गहराई पर स्थित है।

ब्लॉग कहता है कि कावाची एक टेक्टॉनिकली एक्टिव एरिया में बना है। ज्वालामुखी लावा पैदा करता है, जिसमें मैग्नीशियम और लोहे से भरपूर बेसाल्टिक से लेकर सिलिका से लैस एंडेसिटिक तक होता है। यह फ्रीटोमैग्मैटिक विस्फोट होने के लिए जाना जाता है जिसमें मैग्मा और पानी की परस्पर क्रिया बड़े विस्फोट का कारण बनती है, जो भाप, राख, ज्वालामुखी चट्टान के टुकड़े को बाहर निकालती है।
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ये भी पढ़े: , NASA, Kavachi Volcano, NASA Earth observatory
नितेश पपनोई Nitesh has almost seven years of experience in news writing and reviewing tech products like smartphones, headphones, and smartwatches. At Gadgets 360, he is covering all ...और भी

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