रूस-यूक्रेन युद्ध का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर नहीं पड़ेगा असर: नासा

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अमेरिका की तरफ से पावर और लाइफ सपोर्ट उपलब्ध करवाया जाता है। जबकि रूस की तरफ से प्रोपल्शन और एटीट्यूड कंट्रोल किया जाता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर नहीं पड़ेगा असर: नासा
ख़ास बातें
  • नासा ने कहा कि रूस और अमेरिका के तनाव का असर स्पेस ऑपरेशन पर नहीं होगा।
  • 30 मार्च को रूसी कैप्सूल में स्पेस से लौटेंगे तीन अंतरिक्ष यात्री।
  • वापसी यात्रा योजनाबद्ध तरीके से होगी पूरी।
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रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। इस बीच नासा (NASA) ने कहा है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) के ऑपरेशन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। साथ ही रशियन कैप्सूल पर सवार एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री भी योजनाबद्ध तरीके से तय है, जिन्हें इस महीने के अंत में वापस लौटना है। 

Mark Vande Hei नाम के अंतरिक्ष यात्री अपने अन्य साथियों Pyotr Dubrov और Anton Shkaplerov के साथ 30 मार्च को कजाकिस्तान के Baikonur Cosmodrome लिए उड़ान भरने वाले हैं। ये लोग 355 दिन के बाद रूसी कैप्सूल Soyuz पर सवार होकर स्पेस से लौटेंगे। यह अमेरिका का एक नया रिकॉर्ड होगा। 

अंदेशा लगाया जा रहा था कि यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस के बीच चल रहे तनाव के कारण कहीं 55 वर्षीय Mark Vande Hei भी बाहर ही उलझे न रह जाएं। लेकिन मीडिया को दिए एक हालिया बयान में नासा के आईएसएस प्रोग्राम मैनेजर जॉयल मॉन्टालबानो ने कहा, "मैं यह पुख्ता तौर पर कह सकता हूं कि मार्क सोयूज पर घर वापसी कर रहे हैं। हम अपने रशियन साथियों के साथ संपर्क में हैं। इसमें कोई अड़चन नहीं है। तीनों क्रू मेंबर घर वापसी कर रहे हैं।"

वीकेंड में रूस की स्पेस एजेंसी के चीफ दिमित्री रोगोजिन ने फिर से चेतावनी दी कि रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध आईएसएस को क्रैश कर सकते हैं। जिससे स्पेसक्राफ्ट का संचालन रुक सकता है जो इसे ऑर्बिट में बनाए रखने के लिए जरूरी है।

उसके बाद इस हफ्ते की शुरुआत में रूसी समाचार एजेंसी TASS ने कहा: "रूस के स्पेस कॉर्पोरेशन रोस्कोसमोस ने अपने साथियों को कभी भी इसकी विश्वसनीयता पर संदेह करने का ज़रा भी मौका नहीं दिया और Vande Hei योजना के अनुसार घर जाएंगे।"

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अमेरिका की तरफ से पावर और लाइफ सपोर्ट उपलब्ध करवाया जाता है। जबकि रूस की तरफ से प्रोपल्शन और एटीट्यूड कंट्रोल किया जाता है। 1990 के दशक में इसे बनाने के बाद से दोनों एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं। अमेरिका लगातार Northrop Grumman और SpaceX शिप के माध्यम से कोशिश कर रहा है कि स्टेशन को ऑर्बिट में रखा जा सके, लेकिन अभी तक ऐसा करने में यह सफल नहीं हो पाया है। इसलिए स्पेस स्टेशन का ऑर्बिट में बना रहना रूस की मदद के बिना अभी तक संभव नहीं है।

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