एक नई स्टडी ने
चंद्रमा के बारे में चौंकाने वाली जानकारी दी है। यह पता चला है कि चंद्रमा का आंतरिक भाग धीरे-धीरे ठंडा हो रहा है और सिकुड़ता जा रहा है। इसकी वजह से चांद पर भूकंप और फॉल्ट बढ़ रहे हैं। कुछ फॉल्ट तो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) के पास पैदा हो रहे हैं, जहां भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने लैंडिंग की थी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी भी इसी इलाके में आर्टेमिस 3 मिशन को उतारने की योजना बना रही है। क्या चंद्रमा के सिकुड़ने के कारण नासा और अन्य स्पेस एजेंसियों के प्रोजेक्ट्स को झटका लगेगा, आइए जानते हैं।
हालिया
स्टडी को प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। स्टडी के लिए फंड का इंतजाम नासा ने किया था। पता चला है कि चंद्रमा लगातार सिकुड़ रहा है। लाखों वर्षों में यह 150 फीट तक छोटा हुआ है। इस वजह से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भूकंप आ रहे हैं।
Nasa के लूनर रिकोनाइसेंस ऑर्बिटर यानी LRO की मदद से चंद्रमा की सतह पर हजारों की संख्या में छोटे और नए थ्रस्ट फॉल्ट की जानकारी मिली है। इस वजह से चांद पर जो भूकंप आ रहे हैं, उनमें से कुछ को अपोलो पैसिव सेस्मिक नेटवर्क ने भी रिकॉर्ड किया। इस नेटवर्क को करीब 50 साल पहले अपोलो अंतरिक्ष मिशन के यात्रियों ने चंद्रमा पर लगाया था।
चांद के सिकुड़ने की सबसे बड़ी वजह इसके निर्माण को बताया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार चांद का निर्माण एस्टरॉयड और धूमकेतुओं के टकराने से हुआ। इससे चांद का अंदरुनी हिस्सा गर्म हो गयाा जो अब ठंडा हो रहा है। कहा यह जा रहा है कि जैसे-जैसे चांद ठंडा होता जाएगा, वह और सिकुड़ेगा।
हालांकि इससे भविष्य के मून मिशनों पर कोई बड़ा असर पड़ेगा, यह कहना गलत होगा। नासा या किसी भी अन्य स्पेस एजेंसी ने यह नहीं कहा है कि चांद के सिकुड़ने और वहां आ रहे भूकंपों की वजह से फ्चूयर मून मिशनों पर कोई प्रभाव पड़ेगा।