• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • अंतरिक्ष में चीन की बत्ती गुल! स्‍पेस स्‍टेशन से टकराया मलबा, पावर सप्‍लाई पर असर

अंतरिक्ष में चीन की बत्ती गुल! स्‍पेस स्‍टेशन से टकराया मलबा, पावर सप्‍लाई पर असर

Space debris : चीनी स्‍पेस एजेंसी का कहना है कि भविष्‍य में वह अपने स्‍पेस स्‍टेशन को अंतरिक्ष कचरे से बचाने के लिए तत्‍पर रहेगी।

अंतरिक्ष में चीन की बत्ती गुल! स्‍पेस स्‍टेशन से टकराया मलबा, पावर सप्‍लाई पर असर

हालांकि चीन ने यह कन्‍फर्म नहीं किया है वह मलबा कोई माइक्रो-मीटरॉयड था या फ‍िर किसी सैटेलाइट का कचरा।

ख़ास बातें
  • तियांगोंग स्‍पेस स्टेशन की बिजली सप्‍लाई पर असर
  • अंतरिक्ष मलबे की टक्‍कर से हुआ नुकसान
  • चीन ने कहा, भविष्‍य में ऐसे खतरों से निपटेंगे
विज्ञापन
एक कहावत है कि आप जो बोएंगे, वही काटेंगे! चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने अंतरिक्ष मलबे (space debris) का सही निपटारा नहीं करता। इस वजह से स्‍पेस में सैटेलाइट रूपी कचरा बढ़ता जा रहा है। अब खबर आई है कि ऐसे ही एक कथित कचरे ने चीन को मुसीबत में डाल दिया। चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, उसके तियांगोंग स्‍पेस स्टेशन (Tiangong space station) पर स्‍पेस मलबे के अटैक की वजह से आंशिक रूप से पावर सप्‍लाई पर असर हुआ। यह घटना 1 मार्च की बताई जा रही है, जब शेनझोउ 17 मिशन के अंतरिक्ष यात्री स्‍पेसवॉक कर रहे थे। 

तियांगोंग स्‍पेस स्टेशन को चीन की स्‍पेस एजेंसी CMSA ऑपरेट करती है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीनी अंतरिक्ष यात्री स्‍पेसवॉक कर रहे थे, तभी स्‍पेस स्‍टेशन के आउटपोस्‍ट पर अंतरिक्ष मलबे की टक्‍कर हुई। इस कारण बिजली सप्‍लाई संबंधी दिक्‍कत आ गई। 

CMSA ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि स्‍पेसवॉक के दौरान हुई इस गड़बड़ी के बावजूद स्‍पेसवॉक सफल रही। एजेंसी का कहना है कि भविष्‍य में वह अपने स्‍पेस स्‍टेशन को अंतरिक्ष कचरे से बचाने के लिए तत्‍पर रहेगी। चीनी स्‍पेस एजेंसी के डेप्‍युटी डायरेक्‍टर ने कहा कि सौर विंग की बिजली केबलों पर अंतरिक्ष कचरे के असर से स्‍पेस स्टेशन के कोर मॉड्यूल ‘तियान्हे' (Tianhe) को बिजली की कमी झेलनी पड़ी थी। 

हालांकि चीन ने यह कन्‍फर्म नहीं किया है वह मलबा कोई माइक्रो-मीटरॉयड था या फ‍िर किसी सैटेलाइट का कचरा। लेकिन ज्‍यादा संभावना इसी बात की है कि वह किसी सैटेलाइट का कचरा हो सकता है। ऐसे कचरे को आने वाले वक्‍त में स्‍पेस कंपनियों के सबसे बड़े चैलेंज के तौर पर देखा जा रहा है। 

खुद चीन अपने तमाम मिशनों की लाइफ पूरी होने के बाद उन्‍हें उनके हाल पर छोड़ देता है, जबकि ऐसे सैटेलाइट्स का सही से निपटारा किया जाना चाहिए। हाल के वर्षों में स्‍पेस मिशन लॉन्‍च की संख्‍या बढ़ी है जो भविष्‍य में स्‍पेस कचरे का दायरा बढ़ाती जाएगी। सबसे ज्‍यादा चुनौती लो-अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्‍वी की निचली कक्षा में आएगी। सबसे ज्‍यादा सैटेलाइट लो-अर्थ ऑर्बिट में ही मौजूद हैं। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. iPhone वाले फीचर्स अब एंड्रॉयड में, गुरुग्राम के इस लड़के ने किया वो कमाल जो बड़ी-बड़ी कंपनी नहीं कर पाईं
  2. 7000mAh बैटरी वाला iQOO फोन मिल रहा 4 हजार से ज्यादा सस्ता, देखें डील
  3. OnePlus 15T के स्पेसिफिकेशंस लीक, मिल सकती है 7500mAh बैटरी, 120W फास्ट चार्जिंग!
  4. भारत में Tesla का कमजोर परफॉर्मेंस, VinFast ने बेचे 6 गुना ज्यादा EV
  5. Realme Narzo 90 सीरीज में मिलेगी 7,000mAh की बैटरी, अगले सप्ताह भारत में लॉन्च
  6. क्या है भारत का चिप वाला E-Passport और इसके लिए कैसे करें अप्लाई? यहां जानें सब कुछ
  7. Bitcoin में गिरावट का रिस्क, Standard Chartered ने आधा किया प्राइस का टारगेट
  8. Starlink क्या है, कैसे करता है काम? भारत में इसकी कीमत से लेकर फायदे–कमियों तक, यहां समझें सब कुछ
  9. Vivo X300 सीरीज की सेल आज से शुरू, बंपर डिस्काउंट के साथ 1 साल की एक्सटेंड वारंटी और ऐसे फायदे
  10. Xiaomi 17 के इंटरनेशनल मार्केट में लॉन्च की तैयारी, NBTC पर हुई लिस्टिंग
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »