एलियंस (Aliens) ऐसा विषय है, जिसने दुनियाभर के लोगों, वैज्ञानिकों और सरकारों को रिझाया हुआ है। अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक साइंटिस्ट एलियंस के बारे में जानकारी जुटाने में लगे हैं। हार्वर्ड के एक प्रोफेसर का मानना है कि लगभग एक दशक पहले ऑस्ट्रेलिया के पास दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हुआ उल्का (meteor) एक एलियन स्पेसक्राफ्ट हो सकता है। प्रोफेसर एवी लोएब (Avi Loeb) इस रहस्यमयी चीज को दोबारा हासिल करने के लिए 2.2 मिलियन डॉलर (करीब 17 करोड़ 99 लाख 31 हजार 400 रुपये) का मिशन प्लान कर रहे हैं।
प्रोफेसर लोएब जिस उल्कापिंड की बात करते हैं, वह साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया के पड़ोसी पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) के तट से लगभग 160 किलोमीटर दूर प्रशांत महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। लोएब का मानना है कि उनका अभियान इस सवाल का जवाब दे सकता है कि क्या इस ब्रह्मांड में हम अकेले हैं।
लोएब उल्कापिंड को ढूंढकर और उसे परखकर यह समझना चाहते हैं कि क्या वह सिर्फ एक अंतरिक्ष चट्टान है या किसी दूसरी सभ्यता का स्पेसक्राफ्ट। ऐसा लगता है कि लोएब ने अपने अभियान के लिए फंड जुटा लिया है। उनकी टीम समुद्र के तल में खोज करेगी और उल्कापिंड की संरचना का पता लगाएगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह अंतरिक्ष चट्टान पृथ्वी पर आई ऐसी तीसरी चीज है, जिसके बारे में जानकारी है। पता नहीं और कितनी अंतरिक्ष चट्टानें पृथ्वी पर गिरी हैं।
लोएब को लगता है कि
एलियंस होते हैं, लेकिन इस बात को साबित करने के लिए उनके पास कोई सबूत नहीं है। उन्हें लगता है कि इस बारे में अभी और स्टडी करने की जरूरत है। लोएब को लगता है कि उनका अभियान एलियंस के बारे में जरूरी जानकारी सामने ला सकता है।
उन्होंने कहा कि अधिकांश तारे सूर्य से 5 अरब साल पहले बने थे। उनके आसपास किसी भी सभ्यता के पनपने के लिए बहुत समय था। हो सकता है कोई सभ्यता मौजूद हो, जो हमतक पहुंचने की कोशिश करे। उन्होंने कहा कि हमें यह मान लेना चाहिए कि इस ब्रह्मांड में हम सबसे शातिर नहीं हैं। एलियंस के बारे में जानने के लिए हमें सिर्फ ऊपर ही नहीं देखना, नीचे भी देखने की जरूरत है।