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वैज्ञानिकों ने मक्खियों का दिमाग किया हैक, आखिर क्‍या मायने हैं इस रिसर्च के

अमेरिका में राइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च की है।

वैज्ञानिकों ने मक्खियों का दिमाग किया हैक, आखिर क्‍या मायने हैं इस रिसर्च के

रिसर्चर्स ने कहा कि इस शोध से न्यूरोटेक्नोलोजी को काफी मदद मिलेगी।

ख़ास बातें
  • राइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च की है
  • पता लगाया है कि fruit flies के दिमाग को कैसे हैक किया जाता है
  • रिसर्च से कई बीमारियों के इलाज में मदद मिल सकती है
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अमेरिका में राइस यूनिवर्सिटी (Rice University) के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि फल मक्खियों (fruit flies) के दिमाग को कैसे हैक किया जाता है, ताकि उन्हें रिमोट से कंट्रोल किया जा सके। न्यूरोइंजीनियरों की टीम लक्षित न्यूरॉन्स को एक्टिव करने के लिए मैग्निेटिक सिग्‍नलों का इस्‍तेमाल करने में सक्षम थी, जो उनकी बॉडी पोजिशन और मूवमेंट को नियंत्रित करते हैं। नेचर मिनरल्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, रिसर्चर्स की टीम ने आनुवंशिक रूप से मक्खियों पर काम शुरू किया। इससे उनके कुछ न्‍यूरॉन्‍स ने हीट-सेंसटिव आयन चैनल्‍स को व्‍यक्‍त किया। वैज्ञानिकों ने फ्रूट फ्लाइस के दिमाग में आयरन ऑक्साइड नैनोपार्टिकल्‍स को इंजेक्ट किया, जिसके बाद टीम उन्‍हें हीट देने और न्यूरॉन को एक्टिव करने के लिए एक मैग्निेटिक फील्‍ड का इस्‍तेमाल करने में सक्षम थी। 

इसका प्रदर्शन करने के लिए रिसर्चर्स ने उस खास न्‍यूरॉन को चुना, जिसकी वजह से कीड़े अपने पंख को फैलाते हैं। रिसर्चर्स ने पाया कि यह पिछली तकनीक की तुलना में 50 गुना तेजी से न्‍यूरल सर्किट को एक्टिवेट करने में सक्षम था। रिसर्चर्स ने कहा कि इस शोध से न्यूरोटेक्नोलोजी को काफी मदद मिलेगी, क्‍योंकि इसका इस्‍तेमाल बीमारियों के इलाज से लेकर कई और चीजों को डेवलप करने में किया जा सकता है।  

राइस यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में एसोसिएट प्रोफेसर जैकब रॉबिन्सन ने कहा कि मस्तिष्क का अध्ययन करने या तंत्रिका संबंधी विकारों के इलाज के लिए वैज्ञानिक कम्‍युनिटी ऐसे टूल्‍स की तलाश कर रही है जो सटीक हों। उन्‍होंने कहा कि मैग्निेट‍िक फील्‍ड्स के साथ न्‍यूरल सर्किट के कुछ हिस्‍से को रिमोट कंट्रोल करना न्यूरोटेक्नोलोजी के लिए फायदेमंद है। 

इस मुकाम को हासिल करने के लिए रिसर्च टीम ने जेनेटिक इंजीनियरिंग, नैनो टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एक्‍सपर्ट को रिसर्च से जोड़ा। उन्होंने कहा कि उनका मकसद इस तरह की तकनीक का इस्‍तेमाल करके दृष्टिबाधित मरीजों को कुछ दृष्टि बहाल करना है। 
 
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