एस्टरॉयड यानी क्षुद्रग्रह वो चट्टानी आफतें हैं, जिनका सामना हमारी पृथ्वी रोजाना करती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) इन्हें ट्रैक करती है और उन एस्टरॉयड को लेकर अलर्ट जारी करती है, जो धरती के करीब से गुजरने वाले हैं। अंतरिक्ष में मौजूद सबसे बड़े टेलीस्कोप (JWST) के डेटा को टटोलने के बाद वैज्ञानिकों को ढेर सारे छोटे एस्टरॉयड मिले हैं। इनमें एक तो अबतक खोजा गया सबसे छोटा एस्टरॉयड है और मंगल व बृहस्पति के बीच मेन एस्टरॉयड बेल्ट में मौजूद है।
स्पेसडॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, छोटे होने की वजह से ये एस्टरॉयड, बड़े एस्टरॉयड के मुकाबले पृथ्वी के वायुमंडल में आ सकते हैं। ऐसी भी संभावना है कि जबतक ये हमारे बहुत करीब ना आ जाएं, तब तक वैज्ञानिकों के लिए इन्हें ट्रैक करना भी मुश्किल हो सकता है।
इनकी खोज करने वाले वैज्ञानिकों में शामिल मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के ग्रह वैज्ञानिक आर्टेम बर्दानोव ने कहा है कि हमने कई एस्टरॉयड्स का पता लगाया है। कुल 138 एस्टरॉयड खोजे गए हैं, जिनमें सबसे छोटा करीब 10 मीटर का है। रिपोर्ट के अनुसार, यह सबसे छोटा एस्टरॉयड एक लाल बौने तारे TRAPPIST-1 का चक्कर लगाने वाले एक्सोप्लैनेट के आसपास था।
क्या हैं एस्टरॉयड
नासा के अनुसार, इन्हें लघु ग्रह भी कहा जाता है। जैसे हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं, उसी तरह एस्टरॉयड भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल के शुरुआती गठन से बचे हुए चट्टानी अवशेष हैं एस्टरॉयड।
मंगल और बृहस्पति के बीच घूमते हैं ज्यादातर एस्टरॉयड
ज्यादातर एस्टरॉयड एक मुख्य एस्टरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं, जो मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच है। इनका साइज 10 मीटर से 530 किलोमीटर तक हो सकता है। अबतक खोजे गए सभी एस्टरॉयड का कुल द्रव्यमान पृथ्वी के चंद्रमा से कम है।