क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते धरती लगातार गर्म हो रही है, और इसके ध्रुवों पर जो बर्फ जमी है उसके पिघलने में काफी तेजी आती जा रही है। ऐसे में भू-वैज्ञानिक काफी लम्बे समय से चेतावनी देते आ रहे हैं कि समुद्र का बढ़ता जल स्तर जमीन के कई हिस्सों को अपने अंदर समा लेगा। लेकिन धरती पर एक जगह इसका उल्टा देखने को मिल रहा है। समुद्र के बीचों बीच मौजूद द्वीप पानी में डूबने की बजाए फैल रहे हैं।
धरातल से लगते समुद्र में किनारे पर बहुत से ऐसे छोटे द्वीप हैं जो देखकर लगता है कि अगर समुद्र का स्तर थोड़ा सा भी बढ़ा तो ये डूब जाएंगे। ये द्वीप इतने छोटे हैं कि यहां पहुंचना बहुत मुश्किल है। यहां सिर्फ थोड़ी सी जमीन पानी के ऊपर दिखाई देती है।
New York Times की एक रिपोर्ट कहती है कि भले ही दुनिया के बहुत से हिस्सों में द्वीपों और प्रायद्वीपों का किनारा सिकु़ड़ रहा है, लेकिन कुछ जगहों पर इसका उल्टा हो रहा है। कुछ द्वीप ऐसे हैं जो अपना आकार बढ़ा रहे हैं।
हाल ही में वैज्ञानिकों का ध्यान मालदीव के
आइलैंड्स ने खींचा। यहां पर वैज्ञानिकों की एक टीम पहुंची। उन्होंने यहां पर चारों तरफ कैमरा और अपने उपकरण लगा दिए ताकि लहरों के बर्ताव को समझ सकें। पाया गया कि लहरों का मिट्टी से टकराना द्वीप के किनारे को एक नई शेप दे रहा है। इसका किनारा विस्तार कर रहा था।
भविष्य में क्या होने वाला है यह कोई सटीक रूप से नहीं जानता है। वैज्ञानिक भी थ्योरी और ऑब्जर्वेशन के आधार पर अनुमान ही लगा सकते हैं। कहा जा रहा है कि जहां कुछ हिस्से पानी में डूब जाएंगे, वहीं कुछ हिस्से बच भी सकते हैं। यह उस संबंधित देश पर निर्भर करेगा कि वह अपने आईलैंड को कैसे बचाकर रख सकता है।
यहां पर वैज्ञानिकों की प्रवाल द्वीपों (atolls) को लेकर विशेष रुचि दिखाई देती है। प्रवाल द्वीप ऐसे द्वीप होते हैं जो लगून (lagoon) के पास पाए जाते हैं। लगून समुद्र के बीच में पानी का एक उथला हिस्सा होता है जिसके चारों तरफ जमीन का घेरा मौजूद होता है। यह घेरा भी चारों तरफ से पानी से घिरा होता है। असल में यह घेरा बहुत से प्रवाल द्वीपों से मिलकर बना होता है। इस तरह की समुद्री संरचनाओं का अपना एक अलग ही ईकोसिस्टम होता है। ये ज्वालामुखी आधारित समुद्री संरचना बताई जाती हैं।
टेक्टॉनिक प्लेट का गति करना और
ज्वालामुखी का फटना इनके बनने का कारण होता है। इस हिस्से पर धीरे धीरे कोरल जमा होने लगते हैं, वहीं साथ में यह नीचे से भी ऊपर उठता रहता है जिससे कि रिंग के आकार का एक स्ट्रक्चर समुद्र में बनने लगता है। समुद्री लहरें इस पर मिट्टी और अन्य पदार्थ लाकर जमा करती रहती हैं। इसी से फिर प्रवाल द्वीप बनते हैं।
धरती के अलग-अलग हिस्सों में इनके निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर इनका आकार निर्भर करता है। फ्रेंच, पॉलिनेशिया, मालवदीव, और माइक्रोनेशिया के प्रवाल द्वीपों की संरचना भिन्न है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में मालदीव के 184 आइलैंड की स्टडी की है। यहां पर एक पेचीदा तस्वीर सामने आई है। इनमें से आधे आइलैंड तो वक्त की मार के साथ अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं, जबकि अन्य आधे वैसे के वैसे बने हुए हैं। रोचक रूप से कुछ आईलैंड अपना आकार बढ़ा भी रहे हैं।