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3 और देश नहीं करेंगे एंटी-सैटेलाइट टेस्‍ट, अबतक 13 देशों ने लिया बड़ा फैसला, जानें क्‍या हासिल होगा

एंटी सैटेलाइट टेस्‍ट का मकसद ऐसी मिसाइलों का परीक्षण करना है, जिनसे हमला करके किसी उपग्रह को नष्ट किया जा सके।

3 और देश नहीं करेंगे एंटी-सैटेलाइट टेस्‍ट, अबतक 13 देशों ने लिया बड़ा फैसला, जानें क्‍या हासिल होगा

साल 2021 में रूस ने ऐसा ही एक टेस्‍ट करके अपने एक सैटेलाइट ‘कॉसमॉस 1408’ को नष्‍ट कर दिया था। उसकी वजह से अंतरिक्ष में काफी कचरा फैल गया।

ख़ास बातें
  • नीदरलैंड्स, ऑस्‍ट्र‍िया और इटली ने लिया संकल्‍प
  • तीनों देश नहीं करेंगे एंटी सैटेलाइट टेस्‍ट
  • अमेरिका पहले ही ऐसे टेस्‍ट से कर चुका है इनकार
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दुनिया के 3 और देशों ने ऐलान किया है कि वो एंटी-सैटेलाइट (ASAT) टेस्‍ट नहीं करेंगे। इन देशों में शामिल हैं- नीदरलैंड्स, ऑस्‍ट्र‍िया और इटली। एंटी सैटेलाइट टेस्‍ट का मकसद ऐसी मिसाइलों का परीक्षण करना है, जिनसे हमला करके अंतरिक्ष में तैनात किसी उपग्रह को नष्ट किया जा सके। साल 2022 में सबसे पहले अमेरिका ने यह प्रतिबद्धता जताई थी कि वह एंटी-सैटेलाइट टेस्‍ट नहीं करेगा। अमेरिका ने बाकी देशों से भी ऐसा करने का आह्वान किया था। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी एक प्रस्ताव पेश किया गया था। 

पिछले साल दिसंबर में प्रस्ताव पारित हुआ। उसी महीने 9 देशों ने इस पर हस्‍ताक्षर किए, जिनमें शामिल थे- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, स्विट्जरलैंड और यूनाइटेड किंगडम। इस लिस्‍ट में अब 3 और देश शामिल हो गए हैं। स्‍पेसडॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, 27 फरवरी को नीदरलैंड, 3 मार्च को ऑस्ट्रिया और 6 अप्रैल को इटली ने प्रस्‍ताव पर हस्‍ताक्षर किए। अमेरिका पहले से इसका हिस्‍सा है। 

ये सभी देश एक प्रकार के एंटी-सैटेलाइट टेस्‍ट को नहीं करने के लिए सहमत हुए हैं, जिसे direct-ascent के रूप में जाना जाता है। इसके तहत खत्‍म हो चुके या खत्‍म होने वाले सैटेलाइट्स को तबाह करने के लिए जमीन से समुद्र पर तैनात जहाजों से या विमान से मिसाइलें छोड़ी जाती हैं। माना जाता है कि ऐसी तकनीकें बड़े पैमाने पर अंतरिक्ष कचरे को बढ़ा सकती हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में रूस ने ऐसा ही एक टेस्‍ट करके अपने एक सैटेलाइट ‘कॉसमॉस 1408' को नष्‍ट कर दिया था। उसकी वजह से अंतरिक्ष में काफी कचरा फैल गया। सैटेलाइट्स का यह मलबा मौजूदा उपग्रहों के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है। इंटरनेशल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) को भी ऐसे कचरों से हमेशा डर रहता है। 

नासा ऐसी कार्रवाईयों की अलोचना करती आई है। उसका कहना है कि इस तरह के कदमों से अंतरिक्ष में मौजूदा मिशनों पर असर पड़ सकता है। अंतरिक्ष यात्रियों की जान भी खतरे में आ सकती है। आंकड़े बताते हैं कि बीते कई वर्षों में एंटी-सैटेलाइट टेस्‍ट की वजह से मलबे के 6800 से ज्‍यादा टुकड़े अंतरिक्ष में पैदा हुए हैं। इनमें से 3,472 आज भी कक्षा में हैं। 
 

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प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

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