पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावनाओं के मामले में मंगल ग्रह (Mars) भले वैज्ञानिकों की पहली पसंद हो, लेकिन शुक्र ग्रह (Venus) भी एक मजबूत दावेदार है। कुछ साल पहले कार्डिफ यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने शुक्र के वातावरण में फॉस्फीन phosphine के स्रोतों की
खोज करके हलचल मचा दी थी। उन्होंने दावा किया था कि पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों के टूटने से स्वाभाविक रूप से पैदा होने वाली इस गैस का शुक्र पर मिलना वहां जीवन का संकेत हो सकता है। हालांकि इस रिसर्च को तमाम एक्सपर्ट ने खारिज किया था।
अब कार्डिफ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेन ग्रीव्स की रिसर्च टीम ने पांच अलग-अलग मौकों पर शुक्र ग्रह के वायुमंडल में फॉस्फीन को देखा है। IFLScience से
बातचीत में प्रोफेसर ग्रीव्स ने कहा कि हमारा फोकस अब सिर्फ फॉस्फीन की खोज करना नहीं है, यह भी समझना है कि शुक्र ग्रह पर इसका क्या असर हो सकता है।
हवाई में स्थित जेम्स क्लार्क मैक्सवेल टेलीस्कोप (JCMT) की मदद से ग्रीव्स और उनकी रिसर्च टीम ने शुक्र ग्रह के वायुमंडल के निचले इलाकों में फॉस्फीन गैस का पता लगाया है। इससे पता चलता है कि जीवित जीव शुक्र ग्रह के बादलों के नीचे या उसके स्तर पर रह सकते हैं।
रिसर्च टीम को लगता है कि शुक्र ग्रह पर कुछ प्रकार के जीवित जीव (living organisms) हो सकते हैं। हालांकि ऐसा पुख्ता तौर पर नहीं कहा गया है, लेकिन यह रिसर्च भविष्य के लिए नए दरवाजे खोलती है।
इससे पूर्व, MIT के वैज्ञानिकों की एक
स्टडी में भी कहा गया था कि शुक्र ग्रह के बादल वहां जिंदगी बसर कर सकते हैं। स्डटी का दावा था कि शुक्र ग्रह के वातावरण में मौजूद अमोनिया वहां सल्फ्यूरिक एसिड को बेअसर कर सकता है। MIT के वैज्ञानिकों का कहना था कि अमोनिया केमिकल रिएक्शन कर सकती है। यह शुक्र के बादलों को बदल सकती है। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में पब्लिश हुए पेपर में रिसर्चर्स ने निष्कर्ष दिया था कि "जिंदगी शुक्र ग्रह पर अपना वातावरण बना सकती है।