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क्‍या शुक्र ग्रह पर संभव होगा जीवन? वैज्ञानिकों की इस रिसर्च से बढ़ी उम्‍मीद

एक स्‍डटी का दावा है कि शुक्र ग्रह के वातावरण में मौजूद अमोनिया से इस ग्रह पर सल्फ्यूरिक एसिड को बेअसर किया जा सकता है।

क्‍या शुक्र ग्रह पर संभव होगा जीवन? वैज्ञानिकों की इस रिसर्च से बढ़ी उम्‍मीद

Photo Credit: NASA/JPL-Caltech

पृथ्‍वी से बाहर जीवन की खोज में शुक्र सबसे भरोसेमंद ग्रह रहा है।

ख़ास बातें
  • शुक्र ग्रह के बादल सल्फ्यूरिक एसिड की बूंदों में उसे ढक रहे हैं
  • ये बूदें इंसान की त्‍वचा को जला सकती हैं
  • हालांकि वहां मौजूद अमोनिया इस एसिड को बेअसर कर सकती है
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पृथ्‍वी के अलावा बाकी ग्रहों पर जीवन की संभावना ने लंबे समय से वैज्ञानिकों का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। हालांकि ज्‍यादातर कोशिशों के बाद भी वैज्ञानिक कह कहने में असमर्थ हैं कि पृथ्‍वी के बाहर भी जीवन है। रहस्‍यों को सामने लाने के लिए वैज्ञानिकों ने चंद्रमा से लेकर मंगल ग्रह तक कई मिशन शुरू किए हैं। हमारे सौर मंडल के सबसे मुश्किल ग्रहों में से एक शुक्र ने भी वैज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। शुक्र का वातावरण कार्बन डाइऑक्साइड से भरा हुआ है। इसकी सतह इतनी गर्म है कि सीसा lead भी पिघल जाएगा। यह साबित करता है कि इस ग्रह पर जिंदगी का बच पाना नामुमकिन है। 

हालांकि वेल्स स्थि‍त कार्डिफ यूनिवर्सिटी Cardiff University के रिसर्चर्स ने पिछले साल शुक्र के वातावरण में फॉस्फीन phosphine के स्रोतों की खोज करके हलचल मचा दी थी। उन्होंने दावा किया था कि पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों के टूटने से स्वाभाविक रूप से पैदा होने वाली इस गैस का शुक्र पर मिलना वहां जीवन का संकेत हो सकता है। लेकिन इस पर बाकी लोगों ने सवाल उठाया है। उनका कहना है कि शुक्र ग्रह के बादल सल्फ्यूरिक एसिड की बूंदों में उसे ढक रहे हैं। ये बूदें इंसान की त्‍वचा को जला सकती हैं। 

इसके बावजूद पृथ्‍वी से बाहर जीवन की खोज में शुक्र सबसे भरोसेमंद ग्रह रहा है। अब MIT के वैज्ञानिकों की एक नई स्‍टडी में कहा गया है कि ये बादल वहां जिंदगी बसर कर सकते हैं। स्‍डटी का दावा है कि शुक्र ग्रह के वातावरण में मौजूद अमोनिया इस ग्रह पर सल्फ्यूरिक एसिड को बेअसर कर सकता है। वैज्ञानिकों ने कई बार शुक्र के वातावरण में विसंगतियां देखी हैं। इसमें सबसे हैरान करने वाली बात अमोनिया की मौजूदगी है। इसे 1970 के दशक में शुक्र पर खोजा गया था। हालांकि अभी तक वहां इसके होने की वजह का पता नहीं चला है।  

MIT के वैज्ञानिकों का कहना है कि अमोनिया केमिकल रिएक्‍शन कर सकती है। यह शुक्र के बादलों को बदल सकती है। वैज्ञानिकों ने अपने मॉडल से पूर्वानुमान लगाया है कि बादल पूरी तरह से सल्फ्यूरिक एसिड से नहीं बने हैं। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में रिसर्चर्स ने निष्कर्ष दिया है कि "जिंदगी शुक्र ग्रह पर अपना वातावरण बना सकती है। 

रिसर्चर्स की ये फाइंडिंग्‍स रोमांच से भरने वाली हैं। हालांकि इनकी पुष्टि तभी हो पाएगी, जब इसकी गहराई से जांच की जाए। अच्‍छी बात यह है कि नासा NASA और ईएसए ESA आने वाले वर्षों में ऐसा करने की योजना बना रहे हैं।  
 
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