फरवरी महीने की पूर्णिमा कई मायनों में खास होने वाली है। इसे स्नो मून (Snow Moon) भी कहा जाता है, जिसकी शुरुआत भारतीय समय के अनुसार, 4 फरवरी को रात लगभग 09:30 बजे से होगी और यह 5 फरवरी को रात लगभग 11:58 बजे खत्म होगी। भारत में इसे माघ पूर्णिमा या शुक्ल पूर्णिमा भी कहा जाता है। रिपोर्टों के अनुसार, पूर्णिमा तब होती है जब चंद्रमा सूर्य से पृथ्वी की विपरीत दिशा में होता है। बताया जा रहा है कि पूर्णिमा की शाम मध्य-उत्तरी अक्षांश में लोगों को आकाश में दक्षिण की तरफ देखने पर बृहस्पति और मंगल ग्रह भी दिखाई देंगे।
इसके अलावा, शुक्र ग्रह को भी
पूर्णिमा की शाम चांद निकलने से पहले आकाश में देखा जा सकेगा। हालांकि भारत में यह ग्रह कितने बजे देखे जा सकेंगे, इसकी जानकारी अभी मिलना बाकी है। यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि पूर्णिमा और हमारे सौर मंडल के तमाम ग्रहों को देखने के लिए आपके इलाके में मौसम साफ होना चाहिए। सर्दियों में उत्तर भारत के इलाके कोहरे से जूझते हैं, इस वजह से ग्रहों और पूर्णिमा को देखने का अनुभव खराब हो सकता है।
टाइम एंड डेट के
अनुसार, ‘स्नो मून' नाम उत्तरी अमेरिका की जनजातियों से निकला हुआ है। ये जनजातियां भोजन की कमी और बर्फीले मौसम में शिकार नहीं कर पाने के कारण इस पूर्णिमा को हंगर मून भी कहा करते थे। 5 फरवरी के बाद अगली पूर्णिमा के लिए 7 मार्च तक इंतजार करना होगा।
पूर्णिमा का चांद आसमान में दिलचस्पी रखने वालों के लिए खास अवसर होता है। अगर आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो 5 फरवरी को चंद्रमा की कुछ शानदार तस्वीर खींच सकते हैं। जिस तरह भारत में स्नो मून को शुक्ल पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है, उसी तरह से चीन में वहां का पारंपरिक लूनार कैलेंडर फरवरी की पूर्णिमा को अपना पहला महीना मानता है।