भारतीय वैज्ञानिकों को कामयाबी! चांद पर बर्फ के नए सबूत खोजे

Water Ice on the Moon : शोध में स्‍पेस ऐप्लिकेशन सेंटर (SAC)/ISRO के वैज्ञानिक शामिल थे। उनके साथ आईआईटी कानपुर, यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया, जेट प्रोपल्‍शन लेबोरेटरी और आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के रिसर्चर्स ने भी काम किया।

भारतीय वैज्ञानिकों को कामयाबी! चांद पर बर्फ के नए सबूत खोजे
ख़ास बातें
  • चंद्रमा पर मिले वॉटर आइस के नए सबूत
  • ध्रुवीय इलाकों में हो सकती है ज्‍यादा बर्फ
  • आईआईटी कानपुर के रिसर्चर्स भी हुए शामिल
विज्ञापन
Water Ice on the Moon : कई स्‍टडीज में यह माना गया है कि चांद पर बर्फ मौजूद हो सकती है। अब एक नए अध्‍ययन में वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के ध्रुवीय गड्ढों (polar craters) में ज्‍यादा वॉटर आइस (पानी की बर्फ) मिलने की उम्मीद जताई है। स्‍टडी में यह भी पता चला है कि दक्षिणी ध्रुवीय इलाकों (southern polar region) की तुलना में उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र (northern polar region) में पानी की बर्फ (water ice) दोगुनी है। खास यह है कि स्‍टडी करने वालों में आईआईटी कानपुर के रिसर्चर्स भी शामिल थे। 

शोध में स्‍पेस ऐप्लिकेशन सेंटर (SAC)/ISRO के वैज्ञानिक शामिल थे। उनके साथ आईआईटी कानपुर, यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया, जेट प्रोपल्‍शन लेबोरेटरी और आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के रिसर्चर्स ने भी काम किया। एक ब्‍लॉगपोस्‍ट में इसरो ने कहा, स्‍टडी से यह संकेत मिले हैं कि उत्तरी और दक्षिणी दोनों ध्रुवों में सतह पर मौजूद बर्फ की तुलना में उसकी उपसतह यानी सबसर्फेस में 5 से 8 गुना ज्‍यादा बर्फ हो सकती है। 

तो क्‍या इसका मतलब यह माना जाए कि भविष्‍य में जब वैज्ञानिक चंद्रमा से बर्फ निकालने के लिए स्‍टडी करेंगे तो उन्‍हें ज्‍यादा ड्रिलिंग नहीं करनी होगी। यह स्‍डटी उस थ्‍योरी को भी सपोर्ट करती है कि चंद्रमा के ध्रुवों में सबसर्फेस पर मौजूद वॉटर आइस का मेन सोर्स इम्ब्रियन काल (Imbrian period) में ज्वालामुखीय एक्टिविटीज के दौरान गैसों का निकलना है। 

बहरहाल, अपने निष्‍कर्षों तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने 7 इंस्‍ट्रूमेंट्स के डेटा का इस्‍तेमाल किया। ये इंस्‍ट्रूमेंट्स 
नासा के लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर पर लगे हैं, जिनमें रडार, लेजर, ऑप्टिकल, न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर, अल्‍ट्रावॉयलट स्पेक्ट्रोमीटर और थर्मल रेडियोमीटर शामिल हैं। 

इसरो ने कहा है कि इस स्‍टडी से भविष्‍य में लैंडिंग साइट का चुनाव करना आसान हो जाएगा। मिशन्‍स को उस एरिया में लैंड कराने की कोशिश होगी, जहां वॉटर आइस के संकेत हैं। SAC, ISRO की एक अन्‍य स्‍टडी को भी इस स्‍टडी ने सपोर्ट किया है। उस स्‍टडी में पहले ही अनुमान लगाया जा चुका है कि चंद्रमा पर वॉटर आइस की मौजूदगी कुछ ध्रुवीय गड्ढों में हो सकती है। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Nothing Phone (3) का दिखा टीजर, स्पेशल एडिशन के साथ होगा लॉन्च!
  2. iPhone 17 सीरीज में बदल जाएगा फोन का डिजाइन! तस्वीरें लीक
  3. MicroStrategy ने बढ़ाई बिटकॉइन की होल्डिंग, 1 अरब डॉलर से ज्यादा का किया इनवेस्टमेंट 
  4. महाकुंभ में परिवहन के लिए इस्तेमाल होंगे ओला इलेक्ट्रिक के 1,000 इलेक्ट्रिक स्कूटर्स
  5. बेहद पतला होने के बाद भी Oppo Find N5 फोल्डेबल फोन में मिलेगा वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट, कंपनी ने शेयर किया वीडियो
  6. Infinix Smart 9 HD भारत में 28 जनवरी को होगा लॉन्च! डिजाइन और स्पेसिफिकेशन्स भी हुए लीक
  7. अपकमिंग OnePlus स्मार्टफोन्स में मिलेगा बिल्कुल नया डिजाइन, मटेरियल और बनाने का तरीका भी बदला जाएगा!
  8. Apple Watch के इस फीचर ने बचाई शख्स की जान, भयानक हादसे के बाद पूल में पलटी थी कार!
  9. Apple के अफोर्डेबल स्मार्टफोन SE 4 में हो सकता है डायनैमिक आइलैंड, 8 GB का RAM
  10. सैटेलाइट स्पेक्ट्रम पॉलिसी से कंज्यूमर्स को ब्रॉडबैंड इंटरनेट के लिए मिलेंगे ज्यादा ऑप्शन 
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »