अपनी पिछली रिपोर्ट में हमने आपको क्वाड्रेंटिड्स उल्कापात (Quadrantids meteor shower) के बारे में बताया था। आसमान में आज रात साल 2023 का पहला उल्कापात देखने को मिलेगा। मौसम ने साथ दिया यानी आसमान साफ रहा तो लोग हर घंटे करीब 80 उल्काओं की ‘बारिश' होते हुए देख सकेंगे। हालांकि क्वाड्रेंटिड्स हर घंटे करीब 200 उल्काओं की ‘बारिश' करने की क्षमता रखता है। क्वाड्रेंटिड्स उल्कापात 26 दिसंबर से 16 जनवरी तक एक्टिव है। 2 और 3 जनवरी को यह अपने पीक पर होगा।
रिपोर्टों के अनुसार, यह उल्कापात इसलिए अलग है, क्योंकि यह बाकी शॉवर से ज्यादा लंबा और चमकदार होता है। इसमें उल्काओं के बड़े टुकड़े पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचते हैं। 2 और 3 जनवरी की रात यह उल्कापात सारी रात दिखाई देगा। 3 जनवरी को आधी रात के बाद से भोर होने तक यह अपने पीक पर होगा।
क्वाड्रंटिड्स उल्कापात में ‘2003 EH1' नाम के एक एस्टरॉयड (Asteroid) का मलबा शामिल है। इस एस्टरॉयड को साल 2003 में खोजा गया था। एक स्टडी के अनुसार, यह एस्टरॉयड करीब 3.2 किलोमीटर किलोमीटर तक फैला हुआ है, जिसके अवशेष क्वाड्रंटिड्स उल्कापात में मौजूद हो सकते हैं।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, यह एस्टरॉयड हर 5.52 साल में सूर्य की परिक्रमा करता है। पृथ्वी इसके मलबे से एक लंबवत कोण (perpendicular angle) पर गुजरती है। इसका मतलब है कि उल्काओं की बौछार सीमित समय के लिए होगी। नासा के अनुसार, इस उल्कापात का सबसे बेहतरीन नजारा उत्तरी गोलार्ध में दिखाई देगा। हालांकि उल्काएं पूरे आकाश में नजर आएंगी।
ऐसे देख सकते हैं नजारा
आसमान में होने वाली इस घटना को देखने के लिए नासा ने कुछ टिप्स दी हैं।
- शहर की रोशनी और प्रदूषण से दूर जाएं। ऐसी जगह जाएं, जहां रात को आसमान साफ दिखे और आसपास घना अंधेरा हो।
- अगर आपके क्षेत्र में घना कोहरा है, तो आप यह नजारा नहीं देख पाएंगे।
- उल्कापात को देखने को लिए धैर्य रखने की जरूरत है। काफी देर तक आसमान में देखना होगा, इसलिए कुर्सी पर बैठकर इंतजार करें। इससे आप थकेंगे नहीं।
- रात को तापमान कम रहता है। उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है, इसलिए गर्म कपड़े पहनकर बाहर निकलें। ठंड से बचने के लिए आग ना जलाएं, इससे रोशनी बढ़ेगी और आप जो नजारा देखना चाहते हैं, वह फीका पड़ सकता है।