Tata को लीज पर दिया गया GSAT-24 सैटेलाइट, 22 जून को होगा लॉन्‍च

जीसैट-24 एक 24-Ku बैंड कम्‍युनिकेशन सैटेलाइट है। इसका वजन 4,180 किलोग्राम है।

Tata को लीज पर दिया गया GSAT-24 सैटेलाइट, 22 जून को होगा लॉन्‍च

NSIL ने पूरी सैटेलाइट कैपिसिटी ‘टाटा प्ले’ को लीज पर दी है। टाटा प्‍ले को पहले टाटा स्‍काई के नाम से जाना जाता था।

ख़ास बातें
  • 18 मई को यह सैटेलाइट लॉन्‍च साइट पर भेज दिया गया था
  • इसकी हेल्‍थ और परफॉर्मेंस चेक की जा रही है
  • इसका वजन 4,180 किलोग्राम है
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भारत के कम्‍युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-24 (GSAT-24) को 22 जून को फ्रेंच गुयाना के कौरौ से एरियनस्पेस द्वारा लॉन्च किया जाएगा। देश की स्‍पेस एजेंसी इसरो ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि 
भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग (DoS) के तहत आने वाली न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने इसे पहले डिमांड ड्राइवन मिशन के तहत शुरू किया है। NSIL एक पीएसयू है, जो टाटा स्काई के लिए इस  डिमांड-ड्राइवन कम्‍युनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्‍च करने जा रही है।  

जीसैट-24 एक 24-Ku बैंड कम्‍युनिकेशन सैटेलाइट है। इसका वजन 4,180 किलोग्राम है। यह देशभर में डीटीएच एप्लिकेशन की जरूरतों को पूरा करेगा। एक बयान में इसरो की ओर से बताया गया है कि  NSIL ने पूरी सैटेलाइट कैपिसिटी ‘टाटा प्ले' को लीज पर दी है। टाटा प्‍ले को पहले टाटा स्‍काई के नाम से जाना जाता था। 

असेंबली, इंटीग्रेशन और एनवायरनमेंटल टेस्‍ट पूरे करने के बाद GSAT-24 सैटेलाइट को 2 मई को PSR (प्री-शिपमेंट रिव्‍यू) कमिटी ने मंजूदी दी थी। सैटेलाइट और इससे जुड़े इक्विपमेंट को 18 मई को C-17 ग्लोबमास्टर विमान के जरिए लॉन्‍च साइट पर भेज दिया गया था। वहां इसकी हेल्‍थ और परफॉर्मेंस चेक की जा रही है। 

इससे पहले अप्रैल में जानकारी दी गई थी कि यह सैटेलाइट देश में हाई-क्‍वॉलिटी टेलीविजन, टेलिकम्‍युनिकेशन और ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज देगा। एरियनस्पेस ने एक बयान में बताया था कि एरियन 5 रॉकेट पर दो जियोस्‍टेशनरी टेलिकम्‍युनिकेशन सैटेलाइट्स- MEASAT-3d और GSAT-24 को भेजा जाएगा। इनमें से पहला सैटेलाइट मलेशियाई कस्‍टमर के लिए है। 

बात करें कुछ और स्‍वदेशी लॉन्‍च की, तो कुछ महीने पहले Isro ने चंद्रमा पर जाने वाले देश के तीसरे अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की पहली झलक भी दिखाई है। इस साल अगस्‍त में इसका लॉन्‍च अनुमानित है और अभी असेंबलिंग का काम चल रहा है। चंद्रयान-3 को साल 2020 के आखिर में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस मिशन में देरी हुई है। यह एक लैंडर-स्‍पेसिफ‍िक मिशन है, जिसमें कोई ऑर्बिटर नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्‍योंकि चंद्रयान -2 का पहला ऑर्बिटर सही तरीके से काम कर रहा है। चंद्रयान-3 मिशन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चंद्रमा पर उतरने की इसरों की दूसरी कोशिश होगा और इंटरप्लेनेटरी मिशन की राह को बेहतर बनाएगा। 
 
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